देश भर में जन्म प्रमाण पत्र के लिए एक बड़ा बदलाव किया गया है। यह नवजात शिशु के माता-पिता को अब जन्म प्रमाण पत्र के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
केंद्र सरकार में अस्पताल के डिस्चार्ज से पहले ही नवजात का बर्थ सर्टिफिकेट उपलब्ध कराने का आदेश दिया है। यह कदम नागरिकों की सुविधा बढ़ाने और सरकारी प्रक्रियाओं को सरल व पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है।
भारत के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा जारी आदेश में यह कहा गया कि देश के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चों के जन्म के तुरंत बाद उसका पंजीकरण किया गया है और छुट्टी से पहले परिवार को उसका जन्म प्रमाण पत्र दे दिया जाए।
इस आदेश को खासकर उन अस्पतालों पर फोकस करते हुए लागू किया गया, जो संस्थागत जन्मों का 50% से ज्यादा हिस्सा संभालते हैं।
पंजीकरण नवजात के जन्म का पंजीकरण जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम (RBD) 1969 के तहत किया जाता है। साल 2023 में इस अधिनियम में बदलाव कर इसे और प्रभावी बनाया गया है।
अब यह जरूरी हो गया है कि जन्म को केंद्र सरकार के पोर्टल पर 7 दिनों के अंदर पंजीकृत किया जाए और इस दौरान प्रमाण पत्र भी जारी किया जाए। बर्थ सर्टिफिकेट को डिजिटल या फिजिकल फॉर्मेट में उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई है।
आज के समय में जन्म प्रमाण पत्र सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि नागरिक की पहचान और उसके अधिकारों का आधार बन गया है। यह सरकारी नौकरी, स्कूल/कॉलेज एडमिशन, पासपोर्ट, शादी रजिस्ट्रेशन जैसी तमाम प्रक्रियाओं में एक अनिवार्य दस्तावेज बन चुका है।
1 अक्टूबर 2023 से लागू नए नियम के अनुसार, यह प्रमाण पत्र अब मूल जन्म तिथि का एकमात्र प्रमाण माना जाएगा।
2023 में संशोधन के बाद राज्यों को अपने रिकॉर्ड में अब केंद्र सरकार के पोर्टल पर अपलोड करने की आवश्यकता है। इससे नागरिकों का डाटा को एकत्रित करने की मदद मिलेगीइन आंकड़ों का इस्तेमाल अब राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR), राशन कार्ड, मतदाता सूची, और संपत्ति पंजीकरण जैसी विभिन्न योजनाओं के अपडेट में किया जाता है।
मार्च 2025 में भी रजिस्ट्रार जनरल ने सभी अस्पतालों को सख्त हिदायत दी थी कि वे 21 दिनों के भीतर जन्म और मृत्यु से जुड़ी घटनाओं की रिपोर्ट करें। उस समय कुछ अस्पतालों द्वारा कानून का पालन न करने की शिकायतें मिली थीं।
