भारत में लंबे इंतजार के बाद आज चार नए लेबर कोड लागू कर दिए गए हैं। नए कानूनों का मकसद सभी तरह के कर्मचारियों की भलाई को मजबूत करना है और गिग व प्लेटफॉर्म वर्कर्स, महिला कर्मचारियों और एमएसएमई सेक्टर में काम करने वालों को सीधे फायदे देना है।
पहली बार डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए काम करने वालों को कानूनी पहचान मिली है। अब एग्रीगेटर कंपनियों को अपने सालाना टर्नओवर का एक हिस्सा वर्कर्स के लिए वेलफेयर फंड में डालना होगा। इस फंड का इस्तेमाल सोशल सिक्योरिटी बेनिफिट्स के लिए किया जाएगा।
लेबर और एम्प्लॉयमेंट मिनिस्टर मनसुख मंडाविया ने कहा कि ये सुधार सिर्फ नियम बदलने तक सीमित नहीं हैं बल्कि वर्कफोर्स के भले के लिए सरकार का बड़ा कदम हैं। डिलीवरी और मोबिलिटी वर्कर्स अब घर से काम के दौरान हुए एक्सीडेंट पर भी मुआवजा पा सकेंगे। सरकार ने आधार-लिंक्ड यूनिवर्सल अकाउंट नंबर शुरू किया है ताकि सभी राज्यों में वेलफेयर स्कीम्स तक आसान और पोर्टेबल पहुँच हो।
महिलाओं के लिए भी कई बदलाव किए गए हैं। नए कोड के तहत महिलाएं अब नाइट शिफ्ट कर सकती हैं और पहले प्रतिबंधित सेक्टर्स में काम कर सकती हैं बशर्ते उनकी सहमति और सुरक्षा इंतज़ाम हों। मैटरनिटी बेनिफिट्स को और मजबूत किया गया है, महिलाओं को पेड लीव, क्रेच फैसिलिटीज़ और 3,500 रुपये का मेडिकल बोनस मिलेगा। परिवार की परिभाषा बढ़ाकर सास-ससुर को भी शामिल किया गया है ताकि सोशल सिक्योरिटी के तहत ज्यादा लोग कवर हों।
चार नए कोड वेजेज, इंडस्ट्रियल रिलेशन्स, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस और सोशल सिक्योरिटी को लेकर बनाए गए हैं। ये पुराने 29 लेबर कानूनों की जगह लेंगे और देश में नए लेबर-लॉ फ्रेमवर्क को लागू करेंगे।
