नैनीताल की बेटी दीक्षा पाल नारायण ने विदेश की धरती पर अपने हुनर और मेहनत से ऐसा मुकाम पाया है जिस पर पूरा पहाड़ गर्व कर रहा है। कला को बढ़ावा देने और दक्षिण एशियाई संस्कृति व महिलाओं को आगे लाने में उनकी भूमिका को देखते हुए उन्हें कनाडा में प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया है। दीक्षा की शुरुआती पढ़ाई नैनीताल में हुई जहां उन्होंने ऑल सेंट्स कॉलेज एमएलएस बाल विद्या मंदिर और डीएसबी कैंपस से शिक्षा हासिल की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी कर एनडीटीवी में काम किया और शादी के बाद कनाडा चली गईं।
करीब 16 साल से कनाडा में रह रही दीक्षा ने वहां भी अपनी पहचान बनाई और सांस्कृतिक विविधता को मंच देने का बड़ा काम किया। उन्हें हाल ही में दो बड़े सम्मान मिले हैं। 28 जून को मिल्टन टाउन पिन से और 6 सितंबर को पावर ऑफ इन्क्लूजन 5.0 कम्युनिटी लीडरशिप अवार्ड से उन्हें सम्मानित किया गया। यह सम्मान उनके प्रयासों और समाज में किए गए योगदान को दर्शाता है।
दीक्षा इस समय आर्ट्स मिल्टन में प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर हैं और उन्होंने South Asian Mommies of Milton नाम का संगठन भी बनाया है। इसके जरिए उन्होंने न सिर्फ अपनी संस्कृति को जिंदा रखा बल्कि शहर की सांस्कृतिक विविधता को भी एक बड़ा मंच दिया। स्थानीय और क्षेत्रीय स्तर पर निर्णय लेने वाले मंचों पर भी वह सक्रिय हैं और अलग अलग पृष्ठभूमि से आने वाली आवाजों को सामने लाने की कोशिश करती हैं।
नैनीताल को याद करते हुए दीक्षा ने अपने परिवार और शिक्षकों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि यह वही छोटा सा शहर है जिसने उन्हें कला और संस्कृति से जोड़ने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने मार्गदर्शक प्रो बटरोही को विचारों को खुलकर रखने की शिक्षा देने का श्रेय दिया। प्रो अजय रावत से उन्होंने पर्यावरण और समाज की परवाह करना सीखा। एमएलएस बाल विद्या मंदिर की अनुपमा शाह से साहित्य और शब्दों का प्रेम पाया और कलाकार ज़हूर आलम से नाट्यकला के माध्यम से दिल की आवाज सुनना सीखा।
दीक्षा का मानना है कि यह सम्मान सिर्फ व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है बल्कि नैनीताल की जड़ों और मिल्टन की विविधता का संगम है जिसने उनके काम को नई पहचान दी है।
