मोबाइल यूजर्स को मिलेगी बड़ी राहत, मार्च 2026 से हर कॉल पर दिखेगा असली नाम

भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने अब एक ऐसा कदम उठा लिया है जो मोबाइल कॉल करने और उठाने के तरीके को पूरी तरह बदल देगा।…

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भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने अब एक ऐसा कदम उठा लिया है जो मोबाइल कॉल करने और उठाने के तरीके को पूरी तरह बदल देगा। ट्राई ने कॉलर आईडी जैसी सुविधा को लागू करने की मंजूरी दे दी है जिसे कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन यानी सीएनएपी नाम दिया गया है। इस नई व्यवस्था का ट्रायल फिलहाल कुछ राज्यों में नेटवर्क कंपनियों द्वारा किया जा रहा है और योजना है कि इसे देशभर में मार्च 2026 तक लागू कर दिया जाएगा। यानी जियो एयरटेल और वोडाफोन आइडिया जैसे बड़े मोबाइल ऑपरेटरों को अब दो साल के भीतर इस नई सुविधा को अपने नेटवर्क में शुरू करना ही होगा।

ट्राई ने शुरुआत में इसका लक्ष्य इसी साल के अंत तक रखा था लेकिन अब समय सीमा बढ़ाकर मार्च 2026 कर दी गई है। फिलहाल दूरसंचार कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि वे कम से कम एक सर्कल में इस फीचर का परीक्षण शुरू करें। जानकारी के मुताबिक वोडाफोन आइडिया ने हरियाणा में सीएनएपी का पायलट रन शुरू भी कर दिया है जबकि जियो भी जल्द ही इसे शुरू करने की तैयारी में है। यह सुविधा पहले चरण में केवल 4जी और 5जी उपकरणों पर ही उपलब्ध होगी और जो लोग अभी भी 2जी नेटवर्क पर हैं वे इसका लाभ नहीं ले पाएंगे।

अभी तक जब कोई कॉल आती है तो मोबाइल स्क्रीन पर केवल नंबर ही दिखाई देता है लेकिन सीएनएपी फीचर आने के बाद कॉल करने वाले का नाम भी दिखाई देगा। यह सिस्टम नेटवर्क लेवल पर काम करेगा यानी कॉल करने और रिसीव करने वाले दोनों नेटवर्क एक दूसरे से जानकारी साझा कर सकेंगे या एक केंद्रीकृत डेटाबेस का उपयोग करेंगे। यह सुविधा न सिर्फ कॉल की पहचान को आसान बनाएगी बल्कि स्पैम कॉल्स से बचाव में भी मदद करेगी क्योंकि यूजर को तुरंत पता चल जाएगा कि कॉल किसी व्यक्ति की है या किसी कंपनी की।

ट्राई अब इस दिशा में भी काम कर रहा है कि एक केंद्रीकृत डेटाबेस तैयार किया जाए जिसकी स्थानीय प्रतियां सभी नेटवर्क ऑपरेटरों के पास रहें। इस सिस्टम को लागू करने के लिए कंपनियों को अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करना पड़ेगा और डेटा शेयरिंग की व्यवस्था को भी मजबूत बनाना होगा।

सीएनएपी का सबसे बड़ा फायदा यह है कि लोगों को अब ट्रूकॉलर जैसी थर्ड पार्टी ऐप्स पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा जो क्राउड सोर्स्ड जानकारी पर चलती हैं। इसके बजाय मोबाइल स्क्रीन पर जो नाम दिखाई देगा वह सीधे ग्राहक के केवाईसी रिकॉर्ड के आधार पर होगा यानी वही नाम जो सिम खरीदते वक्त दर्ज कराया गया था। इससे फोन कॉल की पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी कॉल्स से लोगों को राहत मिल सकेगी।