देश में मोबाइल और स्मार्टफोन के बढ़ते इस्तेमाल के बीच सरकार ने साफ कर दिया है कि अगर किसी के नाम पर ली गई सिम किसी गलत काम में पकड़ी जाती है, तो जिम्मेदारी उसी व्यक्ति की होगी जिसके दस्तावेज़ पर नंबर जारी हुआ है। कई लोग अपनी आईडी पर सिम निकलवा कर दूसरों को दे देते हैं और बाद में उसी सिम का इस्तेमाल धोखाधड़ी, ठगी या किसी साइबर क्राइम में हो जाता है। अब सरकार ने इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए चेतावनी दी है कि ऐसा करने वालों पर सीधी कार्रवाई होगी।
दूरसंचार विभाग ने हाल के दिनों में मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर के गलत इस्तेमाल के मामलों में लगातार बढ़ोतरी नोट की है। यही वजह है कि विभाग ने लोगों को सावधान रहने और अपने फोन तथा मोबाइल कनेक्शन को सुरक्षित रखने की सलाह दी है ताकि किसी तरह का दुरुपयोग न हो।
टेलिकॉमटॉक की एक रिपोर्ट के मुताबिक नया नियम 24 नवंबर को लागू किया गया है। सरकार का कहना है कि देश में जैसे-जैसे मोबाइल नेटवर्क का दायरा और गति बढ़ी है, वैसे-वैसे साइबर अपराधियों ने नई तरकीबें निकाल ली हैं। खासकर 5जी आने के बाद हाईस्पीड नेटवर्क का फायदा उठाकर ठगी के मामलों में तेजी आई है। आईएमईआई नंबर से छेड़छाड़ और दूसरे के नाम पर जारी सिम का गलत इस्तेमाल अब सरकार को बड़ी चुनौती की तरह नजर आ रहा है।
जिन लोगों को यह लगता है कि सेकंड हैंड फोन खरीदना आसान सौदा है, उन्हें भी सावधान रहने की जरूरत है। कई बार चोरी किए गए मोबाइल आगे बेच दिए जाते हैं और बाद में परेशानी उसी खरीदार के पास पहुंचती है। ऐसे मामलों से बचने के लिए सरकार ने ‘संचार साथी’ ऐप और पोर्टल शुरू किया है, जहां कोई भी व्यक्ति यह पता लगा सकता है कि उसका फोन असली है या कहीं किसी अपराध में शामिल तो नहीं रहा। इसी ऐप के जरिए आप अपने मोबाइल नंबरों का रिकॉर्ड भी जांच सकते हैं।
सरकार ने साफ कहा है कि अगर कोई व्यक्ति गलत दस्तावेज देकर सिम लेता है, आईएमईआई से छेड़छाड़ करता है या अपने नाम की सिम किसी और को देकर उसका अनुचित इस्तेमाल होने देता है, तो यह सीधे कानून का उल्लंघन माना जाएगा। टेलीकम्युनिकेशंस एक्ट 2023 में ऐसी हरकतों पर तीन साल तक की जेल, पचास लाख रुपये तक का जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है। इतना ही नहीं, यह अपराध गैर-जमानती श्रेणी में आता है और इसमें तुरंत गिरफ्तारी भी हो सकती है।
