देश में ऑनलाइन लेनदेन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है, मोबाइल बैंकिंग हो या यूपीआई, लोगों की जिंदगी काफी आसान हुई है, लेकिन इसके साथ ही धोखाधड़ी के मामले भी लगातार सामने आ रहे थे, इसी वजह से रिजर्व बैंक ने डिजिटल बैंकिंग को सुरक्षित बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है।
आरबीआई ने डिजिटल बैंकिंग से जुड़े सारे बिखरे हुए नियमों को एक जगह जोड़कर सात नए मास्टर डायरेक्शन जारी किए हैं। ये नियम पूरे देश में एक ही मानक पर काम करेंगे और इनको अगले साल 1 जनवरी से लागू कर दिया जाएगा। अब तक अलग-अलग सर्कुलर और आदेशों में फैले नियमों को समझने में बैंकों को दिक्कत होती थी, कई बार एक ही विषय पर कई निर्देश मौजूद रहते थे, इस वजह से काम में भ्रम की स्थिति भी बनती थी। नई व्यवस्था के तहत आरबीआई ने पुराने हज़ारों सर्कुलरों को खत्म कर दिया है और पूरे ढांचे को साफ कर दिया है, जिससे बैंकों के लिए नियम समझना आसान हो जाएगा।
इन नए निर्देशों के लागू होने के बाद बैंकों और एनबीएफसी पर अनावश्यक कागजी प्रक्रिया का बोझ कम होगा। देश में काम कर रहे सभी बैंक, चाहे वे कमर्शियल हों या कोऑपरेटिव, पेमेंट बैंक हों या फिर ग्रामीण बैंक, अब इन्हीं डिजिटल मानकों का पालन करेंगे। इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा, क्योंकि हर बैंक को अपनी डिजिटल सेवाओं को सुरक्षित और भरोसेमंद बनाए रखना होगा।
नए नियमों के मुताबिक हर बैंक को अब अपनी डिजिटल बैंकिंग के लिए एक अलग नीति तैयार करनी होगी। इसमें यह साफ तौर पर बताया जाएगा कि इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग और यूपीआई को कैसे सुरक्षित रखा जाएगा, ग्राहक का पैसा किसी भी तकनीकी गड़बड़ी से कैसे बचाया जाएगा, सर्वर डाउन होने जैसे हालात में बैंक कितनी जल्दी कार्रवाई करेगा और सेवाओं को दोबारा सामान्य करेगा।
नए ढांचे से ग्राहकों पर सबसे ज्यादा सकारात्मक असर पड़ेगा। बैंक पहले की तुलना में ज्यादा तेजी से नई डिजिटल सेवाएं शुरू कर सकेंगे और सुरक्षा को लेकर भी सख्त कदम उठाएंगे। छोटे बैंक भी अब बड़े बैंकों की तरह मजबूत डिजिटल सुविधाएं दे सकेंगे। इससे ऑनलाइन धोखाधड़ी पर भी रोक लगेगी और लेनदेन पहले से ज्यादा सुरक्षित होंगे।
शिकायतों के समाधान की प्रक्रिया भी अब तेज और व्यवस्थित होगी, जिससे ग्राहकों को राहत मिलेगी। कुल मिलाकर डिजिटल बैंकिंग का पूरा ढांचा अब ज्यादा साफ, सुरक्षित और आसान होने जा रहा है।
