म​हाराष्ट्र ब्रेकिंग — सरकार गठन के बाद मुश्किल में भाजपा : एनसीपी विधायक दल की बैठक में पहुंचे 49 विधायक

Newsdesk Uttranews
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उत्तरा न्यूज डेस्क

महाराष्ट्र में सरकार गठन के कुछ ही घंटो के बाद क्लाइमैक्स पूरे चरम पर पहुंच गया है। शनिवार की सुबह 8 बजे भाजपा के देवेन्द्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजीत पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। और इसके बाद दिन भर राजनैतिक अटकलबाजियों का दौर चलता रहा । शाम को एनसीपी विधायक दल की बैठक में 48 विधायक ही पहुंचे लेकिन बैठक के बीच में ही धनंजय मुंडे भी पहुंच गये। इससे यह साफ हो गया है कि अजीत पवार के साथ 5 ही विधायक है। और इनके खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्यवाही हो सकती है।

ज्ञातव्य है कि 288 सदस्यों वाली ​महाराष्ट्र विधानसभा के लिये 21 अक्टूबर को हुए चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नही मिला था। बीजेपी को 105 उसकी सहयोगी शिवसेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटे मिली थी।


भाजपा और शिवसेना के गठबंधन में उस समय रार पड़ गई थी जब शिवसेना आधे टर्म के लिये अपना मुख्यमंत्री बनाने की मांग पर अड़ गई। किसी भी पार्टी को बहुमत ना मिलने पर 12 नवबंर को महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। बाद में शिवसेना के कोटे से मंत्री अरविंद सावंत ने केन्द्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा दे दिया था।


नये राजनैतिक घटनाक्रम में कांग्रेस,एनसीपी और शिव​सेना की सरकार बनने पर बात अंतिम चरण में थी कि एक नाटकीय घटनाक्रम के तहत शनिवार की सुबह भाजपा के देवेन्द्र फड़नवीस के मुख्यमंत्री और एनसीपी के अजीत पवार के उप मुख्यमंत्री बनने की सूचना आई।
दिन भर राजनैतिक अटकलों का दौर चलता रहा। प​हले शि​वसेना के अध्यक्ष उ़द्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार ने प्रेस कांफ्रेस कर इसे लोकतंत्र ही हत्या करार दिया। उक्त प्रेस कांफ्रेंस में एनसीपी नेता शरद पवार ने कहा कि बीजेपी के साथ सरकार बनाने का फैसला अजीत पवार का है एनसीपी का नही। वही कांग्रेसी दिग्गज अहमद पटेल और ​मल्ल्किार्जुन खड़गे ने अलग प्रेस कांफ्रेस में इसकी निंदा की।

शनिवार की शाम को एनसीपी विधायक दल की बैठक आहूत की गई । उस समय माना जा रहा था कि अजीत पवार के साथ कम से 9 विधायक होगें। लेकिन उक्त बैठक में 49 विधायकों के शामिल होने से एनसीपी में बड़ी टूट का खतरा टला दिखाई दिया। एनसीपी की बैठक में पार्टी सु्प्रीमो शरद पवार के नेतृत्व में पूरी आस्था प्रकट करते हुए अजीत पवार के इस कदम को पार्टी विरोधी कदम करार दिया गया।