
अल्मोड़ा। स्याहीदेवी विकास समिति ने अपने अस्तित्व को बचाने को जूझ रही कोसी नदी को बचाने के लिए हो रहे प्रयासों की सराहना करते हुए इस अभियान को समग्र बनाने की अपील की है। इसके लिए समिति ने डीएम को ज्ञापन भेजकर इस अभियान को समग्र बनाने की अपील की है। समिति ने कहा कि मिश्रित जंगलों के अनियंत्रित और अवैज्ञानिक दोहन तथा वनाग्नि के कारण सूख रही कोसी नदी तथा अन्य जल
स्रोतों को बचाने/पुनर्जीवित करने के उददेश्य से राज्य सरकार द्वारा कोसी नदी
पुनर्जीवन कार्ययोजना पर कार्य किया जा रहा है। प्रथम चरण में वर्षाजल के संरक्षण हेतु
चाल खाल गड्ढे बनाने तथा पौधरोपण का कार्य किया जा रहा है जो सराहनीय है लेकिन इस पूरे अभियान को समग्रता लाने और नदी, धारे, स्रोत की अवधारणा को साकार करने वाले जंगलों की सतत भूमिका को भी ध्यान में रखना होगा। यह समिति पिछले 15 सालों से जनसहभागिता और सहयोग से जैवविविधता से भरपूर कोसी नदी को बचाने के अभियान में जुटी है। यही नहीं कृषि उपकरणों के लिए बहुमूल्य पेड़ पौंधों को कटान से बचाने के लिए वीपीकेएएस की मदद से वीएल स्याही लौह हल भी समिति ने विकसित किया है और लगातार इसे लोकप्रिय बनाने की जद्दोजहद कर रही है।

ज्ञापन में समिति के संयोजक गिरीश चंद्र शर्मा ने कहा कि स्याही देवी रिचार्ज जोन कोसी नदी का बेहद महत्वपूर्ण जल संग्रहण क्षेत्र
है, जो अल्मोड़ा शहर तथा 40 से अधिक गांवों को 100 इंच से अधिक पेयजल गुरूत्व
पद्धति से मुहैया करा रहा है। इस आरक्षित वन क्षेत्र में मौजूद दर्जनों जल स्रोतों तथा ।
जैव विविधता की रक्षा के लिये दर्जनों गांवों के महिला मंगल दलों ग्रामीणों, जन
प्रतिनिधियों व वन विभाग के साथ मिलकर स्याही देवी विकास समिति शीतलाखेत द्वारा

वर्ष 2003-04 से कार्य किया जा रहा है। जिसके तहत सहायतित प्राकृतिक पुनरोत्पादन
पद्धति से 600 हैक्टेयर वन क्षेत्र में लाखों की संख्या में बांज, बुरांस,काफल आदि के पेड़ों का संरक्षण संवर्धन वनाग्नि से जंगलों को बचाने में महिलाओं ग्रामीणों के सहयोग से वन विभाग को मदद करना वैकल्पिक कृषि उपकरणों (वीएल0स्याही हल) किसानों को देकर जंगलों पर निर्भरता खत्म करने के प्रयास कर रही है। इसके अलावा वर्षा जल संग्रहण हेतु वन विभाग के सहयोग से हजारों की संख्या में खाल, खंती और गढढे बनाकर जलसंरक्षण का प्रयास किया जा रहा है।

