UKSSSC पेपर लीक में खालिद का खोया मोबाइल बना अहम सुराग, पुलिस खोज में जुटी

देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले का मुख्य आरोपी खालिद पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। खालिद की पृष्ठभूमि और…

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देहरादून: उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पेपर लीक मामले का मुख्य आरोपी खालिद पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। खालिद की पृष्ठभूमि और उसके कामकाजी अनुभव पर पुलिस अब गहराई से ध्यान दे रही है। पुलिस का कहना है कि खालिद पहले भारतीय औद्योगिक अनुसंधान परिषद देहरादून में संविदा कर्मचारी के तौर पर डेटा एंट्री का काम कर चुका है। इसके बाद वह लोक निर्माण विभाग में जूनियर इंजीनियर के पद पर संविदा के रूप में कार्य कर चुका है। पुलिस का मानना है कि सरकारी सिस्टम में काम करने का अनुभव ही उसे इस पूरे मामले में मददगार साबित हुआ है। मंगलवार को खालिद की बहन सबिया को भी कोर्ट में पेश किया गया। सबिया पर आरोप है कि खालिद ने परीक्षा के दौरान वॉशरूम में जाकर प्रश्नपत्र की तस्वीरें अपने मोबाइल से खींचीं और सीधे सबिया को भेज दी। शुरुआती पूछताछ में खालिद ने भी यह बात स्वीकार की है। पुलिस अब खालिद के मोबाइल की तलाश कर रही है क्योंकि वह अपने मोबाइल को फेंककर फरार हो गया था। खालिद लखनऊ भाग गया था लेकिन लौटते समय पुलिस ने उसे पकड़ लिया। हालांकि मोबाइल अब भी बरामद नहीं हुआ है। पुलिस का कहना है कि खालिद ने स्वीकार किया कि उसने हरिद्वार और लखनऊ के बीच अपने फोन फेंक दिए थे जिनसे प्रश्नपत्र की तस्वीरें ली गई थीं। अब पुलिस मोबाइल खोजने में जुटी है ताकि पूरे गिरोह की परतें उजागर की जा सकें।

खालिद और उसकी बहन सबिया के अलावा अन्य आरोपियों के खिलाफ नकल विरोधी अधिनियम 2023 और संबंधित धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी। इस कानून के तहत किसी भी परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक करने वाले को दस साल तक की सजा और दस लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। अपराध गैर जमानती है और पुलिस सीधे गिरफ्तारी कर सकती है। यदि कोई अवैध कमाई कर चुका है तो उसकी संपत्ति जब्त की जा सकती है और जिम्मेदार अधिकारियों या संस्थाओं पर भी कार्रवाई की जाएगी। दोषी पाए जाने वालों पर भविष्य में किसी भी सरकारी परीक्षा में शामिल होने पर रोक लग सकती है। मोबाइल की बरामदगी इस केस की सबसे अहम कड़ी है। पुलिस तकनीकी टीम के साथ खालिद के डिजिटल ट्रेल की पड़ताल कर रही है। सबिया से भी गहन पूछताछ की जा रही है ताकि यह पता चल सके कि उसने पेपर किसे भेजा और उसके बदले में कितनी रकम मिली। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पहले ही कह चुके हैं कि नकल माफियाओं को किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा। राज्य के बेरोजगार युवाओं का कहना है कि यह कदम उनकी मेहनत और भविष्य की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है।