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अल्मोड़ा:- इस समाचार में जिन चित्रों को लगाया गया है वह वन विभाग की चुनौतियों को आने वाले फायर सीजन में और बढ़ाने वाला है, क्योंकि अल्मोड़ा सहित चार जिलों में विभाग की हालत बिना सैनिकों के सेनापति जैसी हो गई है, यहां फील्ड कार्मिकों के विभिन्न पदों पर मानकों से 513 कर्मचारी कम हैं, कर्मचारियों की यह कमी आने वाले फायर सीजन की प्लानिंग पर भारी पड़ सकती है| आंकड़े खुद विभाग के अधिकारी बयां कर रहे हैं |

कुमांऊ के उत्तरी वृत के अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चंपावत और बागेश्वर में फील्ड स्टाफ की भारी कमी हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि कैसे वन विभाग दावानल से निपटेगा? और कैसे मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट में रोपे गये लाखों पेड़ों को बचायेगा।

कुमांऊ के उत्तरी वृत में अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ बागेश्वर ,चंपावत जिले आते हैं यहां 1296 कर्मचारियों के सापेक्ष 513 पद खाली हैं. फारेस्ट गार्ड के 220 कर्मचारियों की और वन दरोगा के 119 पद खाली चल रहे हैं। यही नही 15 पद रैंजर के भी खाली हैं। वन संरक्षण उत्तरी वृत्त डा. आईपी सिंह ने बताया कि कर्मचारियों की कमी के बारे में अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है |

कांग्रेस जिलाध्यक्ष पीतांबर पांडे ने कहा कि कर्मचारियों की कमी सीएम के कोसी नदी के पुनर्जनन पर सवाल खड़े कर देगी लाखों पौधों की सुरक्षा कैसे हो पाएगी |
बताते चलें कि उत्तराखण्ड का एक बड़ा भू-भाग वनो से घिरा हैं, ऐसे में गर्मी के मौसम में हर वर्ष आग लगने से करोड़ों की वन संपदा नष्ट हो जाती हैँ। इस बार कोसी पुनर्जनन अभियान के तहत एक दर्जन से अधिक स्थानों पर वृहद वृक्षा रोपण किया हैं , इन पेड़ों को आग से बचाना वन विभाग के लिए चुनौती हैँ। ऐसी स्थिती में वन विभाग के सामने बिना सैनिकों के सेनापति की जैसी स्थिती हो गयी है|



