पूर्व समाजवादी पार्टी विधायक पूजा पाल ने 16 अगस्त को लखनऊ के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। ये मुलाकात तब हुई जब सपा ने उन्हें एक दिन पहले ही पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण उन्हें निष्कासित कर दिया।
पूजा का योगी सरकार की कानून व्यवस्था की प्रशंसा करना सपा को बुरा लगा जिसके चलते उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पूजा पाल पर बार-बार चेतावनी देने के बावजूद पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया और उन्हें तुरंत पार्टी से बाहर निकाल दिया ।
इस निर्णय के बाद राज्य की राजनीति में हड़कंप मच गया। कई मंत्रियों ने इस फैसले की आलोचना की और सपा को महिलाओं का विरोधी करार दिया। अपने निष्कासन पर प्रतिक्रिया देते हुए पूजा पाल ने कहा कि उन्होंने कोई पार्टी विरोधी कार्य नहीं किया बल्कि एक सच्चाई को स्वीकार किया। उन्होंने बताया कि उनके पति बीएसपी विधायक राजू पाल की हत्या 2005 में माफिया अतीक अहमद द्वारा की गई थी और वर्षों तक उन्हें न्याय नहीं मिला लेकिन योगी की सरकार ने सख्त कदम उठाकर उन्हें न्याय दिलाया।
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी को महिलाओं का रक्षक बताया और उनके कार्यों की प्रशंसा की। यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक, मंत्री ओपी राजभर ने और बेबी रानी मौर्य ने पूजा पाल के समर्थन में बयान दिए। उन्होंने कहा कि पूजा पाल का केवल यही दोष था कि उन्होंने सच्चाई को स्वीकार किया।
मौर्य ने सपा पर महिलाओं का अपमान करने और अपराधियों को संरक्षण देने का आरोप लगाया, वहीं राजभर ने कहा कि सपा सच्चाई सहन नहीं कर सकती।
मुख्यमंत्री योगी से पूजा पाल की मुलाकात को लेकर अब हर जगह गर्मागर्मी है। बताया जा रहा है कि यह कदम सपा के अंदर और ज्यादा दरार को उजागर कर रही है। आगामी 2027 विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण बदले जा सकते हैं। हालांकि पूजा पाल ने भाजपा में शामिल होने की पुष्टि नहीं की लेकिन उनकी भाषा और सुझाव यह संकेत दे रहे हैं
