कोरोना वैक्सीन से महिलाओं-पुरुषों में बांझपन की समस्या?

नई दिल्ली। 21 जून से टीकाकरण की गति को और भी तेज कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट करके बताया कि…

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नई दिल्ली। 21 जून से टीकाकरण की गति को और भी तेज कर दिया गया है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने ट्वीट करके बताया कि इसका असर पहले ही दिन दिखा और देश ने टीका लगाने का रिकॉर्ड बना लिया। बीते सोमवार को कोरोना वैक्सीन की करीब 80 लाख से अधिक डोज लगाई गईं, जो यह साबित करता है कि सरकार की टीकाकरण नीति सही दिशा में है। हालांकि अभी भी बहुत सारे लोग ऐसे हैं, जो किसी न किसी वजह से टीका लेने से घबरा रहे हैं, डर रहे हैं। 

दरअसल, कोरोना वैक्सीन को लेकर देश में कई तरह की अफवाहें फैली हुई हैं। इनमें से एक यह है कि वैक्सीन के कारण पुरुषों और महिलाओं में बांझपन की समस्या पैदा हो सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसपर चिंता व्यक्त करते हुए एक प्रेस रिलीज जारी किया है और कहा है कि ऐसा कोई भी वैज्ञानिक सबूत नहीं है जो यह साबित करता हो कि कोरोना वैक्सीन के कारण बांझपन होता है। इसलिए इस तरह की बातों पर ध्यान न दिया जाए। 

हाल ही में टीकाकरण को लेकर नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप यानी राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह ने ये अपील की थी कि स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी कोरोना वैक्सीन जरूरी है और बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से ये अहम भी है, क्योंकि फिलहाल देश में बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आई है। अभी उनपर ट्रायल चल रहे हैं।  

हाल ही में प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो यानी पीआईबी ने नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल और एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया से बातचीत के आधार पर कोरोना वैक्सीन से संबंधित कई जरूरी सवालों के जवाब जारी किए थे। इसमें डॉ. वी. के. पॉल ने बताया था कि स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए टीका बिल्कुल सुरक्षित है। किसी प्रकार के भय की कोई जरूरत नहीं है और टीकाकरण से पहले या बाद में स्तनपान न कराने की कोई आवश्यकता नहीं है।   

क्या गर्भवती महिलाएं कोविड-19 का टीका लगवा सकती हैं? इसके जवाब में डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा था कि कई देशों ने गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया है। अमेरिका के एफडीए ने फाइजर और मॉडर्ना के टीकों को इसके लिए मंजूरी दे दी है। कोवाक्सिन और कोविशील्ड से संबंधित आंकड़े भी जल्द आएंगे। कुछ डेटा पहले से ही उपलब्ध हैं और हम आशा करते हैं कि कुछ दिनों में हम पूर्ण आवश्यक आंकड़े प्राप्त करने और भारत में भी गर्भवती महिलाओं के टीकाकरण को मंजूरी देने में सफल होंगे।