भारत और ब्रिटेन के बीच तीन साल से अटकी पड़ी एफटीए बातचीत को आखिरकार मंजिल मिल गई है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर की मौजूदगी में दोनों देशों ने सीईटीए यानी कांप्रिहेंसिव इकोनॉमिक एंड ट्रेड एग्रीमेंट पर दस्तखत कर दिए हैं। ये समझौता सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं बल्कि दो देशों की साझी तरक्की की बुनियाद है।
पीएम मोदी इस वक्त ब्रिटेन दौरे पर हैं और यह प्रधानमंत्री के तौर पर उनकी चौथी ब्रिटेन यात्रा है। उन्होंने इस समझौते को भारत के छोटे कारोबारियों किसानों मछुआरों और एमएसएमई के लिए बेहद फायदेमंद बताया है। उनका कहना है कि इससे भारतीय वस्त्र उद्योग जूते गहने समुद्री उत्पाद और इंजीनियरिंग से जुड़ा सामान ब्रिटेन में आसानी से बिक सकेगा। वहीं भारतीय कृषि और प्रोसेस्ड फूड को भी वहां बड़ा बाजार मिलेगा।
इसी समझौते के तहत यूके के बने मेडिकल उपकरण एयरोस्पेस पार्ट्स और बाकी औद्योगिक सामान भारत में अब सस्ते दामों पर पहुंच सकेंगे जिससे यहां के उद्योगों और उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। हालांकि ब्रिटेन के अंदर कुछ राजनीतिक दलों को इस करार से परेशानी है। उनका कहना है कि भारतीय कामगारों को मिलने वाली सामाजिक सुरक्षा छूट की वजह से ब्रिटिश मज़दूरों को नुकसान होगा क्योंकि पहले ये छूट सिर्फ एक साल के लिए थी जो अब बढ़ाकर तीन साल कर दी गई है। मगर ब्रिटेन सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह छूट पहले से कई देशों के साथ लागू है और इससे ब्रिटेन के श्रमिकों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
इस डील को लेकर ब्रिटेन का दावा है कि इससे उसकी अर्थव्यवस्था को हर साल करीब 4.8 अरब पाउंड यानी लगभग 6.5 अरब डॉलर की बढ़त मिलेगी। भारत फिलहाल ब्रिटेन को कुल निर्यात का करीब दो प्रतिशत ही सामान भेजता है लेकिन इस समझौते के लागू होते ही यह आंकड़ा तेजी से ऊपर जा सकता है।
सौदे में एक बड़ी बात यह है कि ब्रिटेन से आने वाली शराब पर अब भारत में आधा टैक्स लगेगा। व्हिस्की जैसी ड्रिंक्स पर पहले 150 प्रतिशत टैक्स लगता था जो अब घटाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है। 2035 तक यह और घटाकर 40 प्रतिशत तक लाया जाएगा। इसके अलावा ब्रिटेन की कारें हवाई कलपुर्जे बिजली से जुड़ा सामान और दवाइयां भारतीय बाजार में अब काफी सस्ते मिलेंगे। वहीं ब्रिटेन के लोगों को भारत में बने कपड़े और गहने कम दाम में मिलेंगे।
नौकरियों की बात करें तो ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि इस समझौते से वहां 2200 से ज्यादा नई नौकरियां पैदा होंगी। दोनों देशों के कामगारों को लेकर जो नई व्यवस्था बनी है उसके मुताबिक जो कर्मचारी भारत से यूके जाएंगे या वहां से भारत आएंगे उन्हें सिर्फ अपने देश में ही सोशल सिक्योरिटी टैक्स देना होगा।
ब्रिटिश व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने कहा है कि भारतीय प्रोफेशनल्स पर लगने वाले वीजा और हेल्थ सरचार्ज की वजह से ब्रिटिश कंपनियों को कोई सस्ती डील नहीं मिलती और वहां के कामगारों को इससे डरने की जरूरत नहीं है।
हालांकि बातचीत अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। निवेश सुरक्षा और कार्बन टैक्स जैसे कई मुद्दे हैं जिन पर दोनों देश अब भी चर्चा कर रहे हैं। ब्रिटेन की ओर से जनवरी से एक नया टैक्स सिस्टम लाने की योजना है जिससे ज्यादा कार्बन छोड़ने वाले सामान पर अतिरिक्त टैक्स लगाया जाएगा। भारत को इस बात की चिंता है कि उसके निर्यात पर इसका असर पड़ सकता है।
रक्षा शिक्षा तकनीक और जलवायु जैसे क्षेत्रों में भी दोनों देश साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे। सुरक्षा और इंटेलिजेंस शेयरिंग को लेकर भी नया समझौता हुआ है जिससे अपराधियों पर कार्रवाई करने में आसानी होगी और एक दूसरे के साथ अपराध से जुड़ी जानकारियां भी साझा की जा सकेंगी।
हाल ही में भारत सरकार की कैबिनेट ने इस समझौते को मंजूरी दी है लेकिन इसे लागू होने में अभी वक्त लगेगा क्योंकि संसद से भी इसे पास कराना बाकी है। उम्मीद की जा रही है कि अगला एक साल इस समझौते को अमलीजामा पहनाने में बीतेगा।
