आज हम आपको एक ऐसे गांव के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कभी 15 से 20 परिवार रहते थे लेकिन अब उसे गांव में केवल एक वृद्ध महिला अकेले रह रही है। रुद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि विकास खण्ड के ढिंगनी गांव में आज एक अकेली बिमला देवी जीने के लिए संघर्ष कर रही हैं।
सुख सुविधाओं के अभाव में गांव के लोग यहां से जा चुके हैं। सरकारों की उदासीनता की वजह से आज पूरा गांव खाली हो गया है। अभी भी लोग प्रतीक्षा कर रहे हैं कि सड़क गांव तक कब पहुंचेगी लेकिन आजादी के 78 वर्ष बीत गए हैं तब भी यहां सड़क नहीं आई पर लोग गांव खाली कर चुके हैं।
एक दशक पहले तक ये गांव संघर्षों के बाद भी काफी खुशहाली भरा था। गांव में सभी परिवार निवासरत थे, लोगों का आना-जाना लगा रहता था। सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य न होने के बाद भी लोग अपना जीवन इसी गांव में काट रहे थे। खेत खलियान, हरे भरे घर आंगन और पशुधन के साथ खेती-बाड़ी भी खूब होती थी।
मगर धीरे-धीरे बच्चों के अच्छे शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव होने की वजह से गांव के परिवार पलायन करना शुरू कर गए। आज भी लोग सड़क की आस लगाए हुए हैं लेकिन सरकारी व्यवस्था की उदासीनता की वजह से यहां सड़क नहीं बनी है। गांव के लोग शहर पहुंच गए इस वजह से पूरा गांव खाली हो गया है। आज इस गांव में एक वृद्ध महिला अकेले रह रही है।
लोगों का कहना है कि आखिर ये महिला कैसे अकेली चारों ओर जंगल से घिरे इस गांव में रह रही है। महिला का कहना है कि हमारा पूरा जीवन यहीं कट गया। एक बच्चा देहरादून में हैं तो एक श्रीनगर में है। बच्चे बुलाते हैं पर मन अपने गांव में ही लगता है। शहर की जिंदगी पसंद नहीं आती है। कुछ दिन जाती हूं पर अपना घर अपना गांव अपना ही होता है।
महिला ने बताया कि कई कई दिनों तक कोई भी नहीं उसे दिखाई देता है। आने-जाने के लिए रास्ते भी नहीं है अस्पताल भी 4 किलोमीटर दूर है। किसी भी प्रकार की कोई सुविधा या नहीं है।
उन्होंने कहा कि अगर सड़क होती तो लोग आते जाते लेकिन सुविधा ही नहीं है। इस वजह से कोई नहीं आ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि दिन रात गांव में भालू और गुलदार का भी आतंक बना हुआ है। बहुत डर लगता है, पर क्या करूं मन अपने ही गांव में लगता है।
