देहरादून से एक बड़ी खबर सामने आई है जहाँ भारतीय वन सेवा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी विनय कुमार भार्गव पर गंभीर आरोप लगे हैं और इसी के चलते उन्हें शासन की ओर से कारण बताओ नोटिस थमा दिया गया है। मामला बेहद संवेदनशील है क्योंकि इसमें सीधे-सीधे बिना टेंडर के काम बांटने और वन क्षेत्र के भीतर पक्के निर्माण कार्य कराने जैसे गंभीर बिंदु शामिल हैं। इसके अलावा फायर लाइन के रखरखाव में भी तय सीमा से ज्यादा खर्च और कार्य कराने का मसला सामने आया है। ये पूरा मामला तब उजागर हुआ जब आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने इस पर जांच कर रिपोर्ट शासन तक पहुंचाई।
शासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तत्कालीन डीएफओ रहे और वर्तमान में कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट के पद पर तैनात विनय भार्गव को जवाब देने के लिए 15 दिन का वक्त दिया है। नोटिस में साफ कहा गया है कि अगर तय समय के भीतर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह पूरा प्रकरण 2011 से 2021 के बीच का बताया जा रहा है जिसमें वित्तीय अनियमितताओं की पुष्टि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि संजीव चतुर्वेदी ने इस विषय पर पिछले साल दिसंबर में ही वन मुख्यालय को पत्र भेजा था और जनवरी 2025 में दोबारा याद दिलाया गया। इसके बाद प्रमुख वन संरक्षक ने प्रमुख सचिव को लिखा और तब जाकर नोटिस जारी हुआ।
विनय भार्गव पर आरोप है कि उन्होंने 2019 में पिथौरागढ़ के डीएफओ रहते हुए बिना किसी स्वीकृति के कई निर्माण कार्य कराए। इनमें डोरमेट्री बनाना, वन उत्पाद विक्रय केंद्र का निर्माण, 10 इको हट्स और एक ग्रोथ सेंटर शामिल हैं। इन सभी कार्यों के लिए बिना टेंडर के निजी संस्था को काम दे दिया गया और उसे एकमुश्त भुगतान भी कर दिया गया। इतना ही नहीं एक डेवलपमेंट कमेटी के साथ अनुबंध कर पर्यटन से मिलने वाली धनराशि का 70 फीसदी हिस्सा भी उसे सौंप दिया गया। वहीं फायर लाइन की मरम्मत और सफाई के लिए जो कार्य योजना तय थी उसे भी नजरअंदाज करते हुए 14 किलोमीटर की जगह 90 किलोमीटर में काम करा दिया गया और इस पर दो लाख रुपये खर्च किए गए।
संजीव चतुर्वेदी ने इस पूरे मामले को भ्रष्टाचार की श्रेणी में रखते हुए लगातार शासन से कार्रवाई की मांग की थी। अब शासन ने जवाब तलब कर साफ कर दिया है कि अगर संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो विभागीय कार्रवाई होना तय है। मामला शासन के उच्चाधिकारियों के स्तर पर पहुंच चुका है और सबकी नजर इस पर टिकी हुई है कि आने वाले दिनों में सरकार इस पर क्या रुख अपनाती है।
