भगवान ने मुझे जिंदगी तो दी लेकिन मेरी सारी खुशियां छीन लीं ये शब्द हैं विश्वास कुमार रमेश के वही विश्वास कुमार जो इस साल 12 जून को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया हादसे में बचने वाले अकेले इंसान हैं। उस दिन का मंजर आज भी उनकी आंखों से ओझल नहीं हुआ है।
विश्वास बताते हैं कि हादसे ने उनसे सब कुछ छीन लिया है। उनका भाई अजय कुमार रमेश उस प्लेन में ही था और हादसे में उसकी मौत हो गई। पूरा परिवार इस घटना से बिखर गया है। स्काई न्यूज और बीबीसी से बातचीत में विश्वास ने बताया कि अब उनकी जिंदगी खालीपन और दर्द में ही बीत रही है।
12 जून 2015 की दोपहर एक बजे एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 171 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर अहमदाबाद से लंदन के लिए रवाना हुई थी। उसे गैटविक एयरपोर्ट पर उतरना था लेकिन टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। हादसे में विमान में सवार 240 लोग और एयरपोर्ट के पास मौजूद 30 लोग मारे गए।
विश्वास ने बताया कि वह फ्लाइट की 11ए सीट पर बैठे थे जो इमरजेंसी गेट के पास थी। उन्हें याद है कि जैसे ही जहाज ने उड़ान भरी वैसे ही लाइटें टिमटिमाने लगीं और अचानक आवाज आई फिर तेज झटका लगा और सबकुछ खत्म हो गया। उन्होंने आंखें खोलीं तो चारों तरफ सिर्फ आग और मलबा था। किसी तरह उन्होंने सीट बेल्ट खोली और एक टूटे हिस्से से बाहर निकल आए। बाहर का नजारा इतना भयावह था कि आज भी उनकी आंखों में वही तस्वीर घूमती रहती है। हर ओर लाशें और जलते हुए लोग नजर आ रहे थे।
विश्वास कहते हैं कि यह किसी चमत्कार से कम नहीं था कि वह जिंदा बच गए लेकिन उनके शब्दों में उन्होंने सब कुछ खो दिया। वह बताते हैं कि उनका भाई उनके लिए सिर्फ भाई नहीं बल्कि सबसे करीबी दोस्त था। अब वह नहीं रहा तो जिंदगी खाली लगती है। हादसे के बाद विश्वास अपने घर लीसेस्टर लौट आए हैं लेकिन अब भी सदमे में हैं।
उन्होंने बताया कि वह अब किसी से बात नहीं करते बस अपने कमरे में अकेले बैठते रहते हैं। पत्नी और बेटे से भी बहुत कम बात करते हैं। उनकी मां हर दिन दरवाजे के बाहर बैठी रहती हैं लेकिन कुछ बोलती नहीं। विश्वास कहते हैं कि हर रात वह जागते रहते हैं और सोचते हैं कि काश उस दिन वह भी अपने भाई के साथ चले गए होते।
डॉक्टरों के मुताबिक उन्हें पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर यानी पीटीएसडी है। वह न केवल मानसिक बल्कि शारीरिक दर्द से भी गुजर रहे हैं। विश्वास कहते हैं कि अब धीरे धीरे चलते हैं और कई बार पत्नी का सहारा लेना पड़ता है। उनके कजिन बताते हैं कि रात में अचानक उनकी नींद खुल जाती है और वह चिल्लाने लगते हैं। परिवार उन्हें एक साइकेट्रिस्ट के पास भी ले गया है ताकि वह इस सदमे से बाहर आ सकें लेकिन अभी तक यह दर्द उनके दिल से निकला नहीं है।
