भारत में दिल की बीमारियों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है और अब यह मौतों का सबसे बड़ा कारण बन गया है। कभी इस बीमारी को उम्र बढ़ने के बाद की समस्या माना जाता था लेकिन आज हालात बदल गए हैं। अब तो कम उम्र के लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। बीस साल से कम उम्र के युवाओं में भी दिल से जुड़ी दिक्कतें देखने को मिल रही हैं।
रिपोर्टें बता रही हैं कि हर साल लाखों भारतीय हृदय रोग के चलते अपनी जान गंवा रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या उन युवाओं की है जो खुद को पूरी तरह स्वस्थ और सक्रिय मानते थे। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां तीस से पैंतीस साल की उम्र के लोग अचानक दिल का दौरा पड़ने से दुनिया छोड़ गए। सोशल मीडिया पर इस तरह की घटनाएं अक्सर सुर्खियों में रहती हैं।
हाल ही में जारी एक सर्वेक्षण ने भी चेतावनी दी है। रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के तहत तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में होने वाली कुल मौतों में से एक तिहाई मौतें दिल की बीमारियों से हो रही हैं। यानी करीब इकतीस फीसदी मौतें केवल इसी वजह से हो रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों की दिनचर्या और खानपान में लगातार गिरावट इसका बड़ा कारण है और अगर हालात ऐसे ही रहे तो आने वाले सालों में ये आंकड़े और बढ़ सकते हैं।
रिपोर्ट में साफ किया गया है कि नॉन कम्युनिकेबल डिजीज देश में मौतों का सबसे बड़ा कारण हैं। कुल मौतों में से लगभग सत्तावन फीसदी इन बीमारियों से हो रही हैं। इसके बाद संक्रामक रोग और मातृ स्वास्थ्य से जुड़ी जटिलताएं सामने आती हैं। वहीं सांस की बीमारियां करीब नौ फीसदी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां छह फीसदी मौतों के लिए जिम्मेदार बताई गई हैं।
दिल की बीमारी से सबसे ज्यादा मौतें तीस साल से ऊपर की उम्र में हो रही हैं। जबकि पंद्रह से उनतीस साल की उम्र में आत्महत्या और जानबूझकर चोट पहुंचाने के मामले सबसे ज्यादा सामने आते हैं। इसके अलावा पाचन संबंधी दिक्कतें बुखार मोटर वाहन हादसे मधुमेह और जननांग से जुड़ी बीमारियां भी बड़ी संख्या में जान ले रही हैं।
विशेषज्ञ कहते हैं कि आज का युवा नींद पूरी नहीं करता। समय पर खाना नहीं खाता। तनाव हर किसी की जिंदगी का हिस्सा बन गया है। ऊपर से तैलीय भोजन जंक फूड और स्क्रीन पर घंटों बैठे रहने की आदत शरीर को अंदर से कमजोर कर रही है। नतीजा ये है कि दिल समय से पहले ही जवाब देने लगता है।
पिछले दस साल के आंकड़े साफ दिखाते हैं कि हृदय रोग से मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। डॉक्टरों का कहना है कि कम उम्र से ही लोगों को इस पर ध्यान देना होगा। जिन परिवारों में पहले से इस बीमारी का इतिहास रहा है उन्हें और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है।
यह रिपोर्ट साफ इशारा करती है कि भारत में दिल की सेहत को लेकर गंभीरता दिखाना बेहद जरूरी है। अगर अब भी लोग नहीं संभले तो आने वाले समय में खतरा और बड़ा हो सकता है।
नोट: यह खबर अन्य मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर तैयार की गई है।
