हरिद्वार 2027 अर्धकुंभ को पूर्ण कुंभ की तरह भव्य बनाया जाएगा, चार अमृत स्नान और दस प्रमुख तिथियां घोषित

हरिद्वार में 2027 का अर्धकुंभ इस बार एक नई पहचान के साथ आयोजित होगा। ऐतिहासिक रूप से यह पहला मौका है जब अर्धकुंभ को पूर्ण…

1200 675 25489177 thumbnail 16x9 haridwar kumbh mela 2027 pic

हरिद्वार में 2027 का अर्धकुंभ इस बार एक नई पहचान के साथ आयोजित होगा। ऐतिहासिक रूप से यह पहला मौका है जब अर्धकुंभ को पूर्ण कुंभ की भव्यता और परंपराओं के अनुरूप प्रस्तुत किया जाएगा। साधु-संतों ने भी इस बदलाव का समर्थन किया है और मेले की सफलता के लिए पूरा सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में डामकोठी में आयोजित बैठक में 13 अखाड़ों के सभी प्रतिनिधि मौजूद रहे। सीएम धामी ने संतों का स्वागत करते हुए उनसे सुझाव मांगे और भरोसा दिलाया कि उनकी सभी अपेक्षाओं को कुंभ आयोजन में सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अखाड़ों की भागीदारी कुंभ की आत्मा है और सरकार इस आयोजन को दिव्यता और भव्यता के साथ प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध है।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्रपुरी महाराज ने बताया कि संत समाज ने अर्धकुंभ को पूर्ण कुंभ की तरह आयोजित करने पर सहमति दी है। ग्रह-नक्षत्रों के अनुसार उज्जैन कुंभ एक वर्ष पीछे चला गया है, जिससे हरिद्वार अर्धकुंभ की अहमियत और बढ़ गई है। निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्रपुरी महाराज ने भी स्पष्ट किया कि संतों में किसी तरह का मतभेद नहीं है और सभी अखाड़े सरकार के साथ खड़े हैं। अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक हरिगिरि महाराज ने पुष्टि की कि स्नान पर्व पुराने पंचांग और पारंपरिक तिथियों के अनुसार ही संपन्न होंगे।

बैठक में अर्धकुंभ के दस प्रमुख स्नान तिथियों का ऐलान किया गया। चार अमृत स्नान भी शामिल हैं, जिन्हें पहले शाही स्नान कहा जाता था। तिथियां इस प्रकार हैं: 14 जनवरी 2027 (मकर संक्रांति), 6 फरवरी 2027 (मौनी अमावस्या), 11 फरवरी 2027 (बसंत पंचमी), 20 फरवरी 2027 (माघ पूर्णिमा), 6 मार्च 2027 (पहला अमृत स्नान), 8 मार्च 2027 (दूसरा अमृत स्नान), 7 अप्रैल 2027 (नव संवत्सर), 14 अप्रैल 2027 (तीसरा अमृत स्नान/वैशाखी), 15 अप्रैल 2027 (रामनवमी स्नान) और 20 अप्रैल 2027 (चौथा अमृत स्नान/चैत्र पूर्णिमा)।

मेला प्रशासन ने सभी अखाड़ों के दो-दो सचिवों को आमंत्रित किया था, लेकिन आह्वान अखाड़े के सचिव किसी कारणवश बैठक में शामिल नहीं हो सके। अखाड़ा परिषद ने स्पष्ट किया कि उनका स्नान जूना अखाड़े के साथ होता है और उनकी अनुपस्थिति केवल यात्रा कारणों से थी।

हरिद्वार 2027 अर्धकुंभ अपने स्वरूप और भव्यता में अनोखा होगा। यह आयोजन धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक विरासत और आध्यात्मिक अनुभव का ऐसा मिश्रण साबित होगा, जिसे आने वाले वर्षों तक याद किया जाएगा।