हल्द्वानी में गौला नदी हर साल खतरा बन रही है। साल 2024 में बरसात के दौरान नदी का पानी इतना बढ़ा कि गौलापार स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की दीवार टूट गई थी। इसके बाद सिंचाई विभाग ने स्टेडियम की सुरक्षा के लिए तटबंध तैयार किए थे। लेकिन इस बार की बाढ़ ने वह तटबंध भी बहा दिए। हैरानी की बात यह है कि जिस ठेकेदार ने यह काम किया था उसे अब तक भुगतान भी नहीं मिला और तटबंध नदी में समा गए।
शनिवार को नैनीताल के अपर जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह नेगी ने मौके का निरीक्षण किया। उन्होंने देखा कि मॉनसून में गौला नदी का तेज बहाव स्टेडियम के किनारे बनाए गए तटबंध को पूरी तरह से बहा ले गया। यह काम सिंचाई विभाग की देखरेख में हुआ था। अधिकारी ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच के लिए जिलाधिकारी के आदेश पर एक कमेटी बनाई गई है। वही जांच करेगी कि आखिर करोड़ों खर्च होने के बावजूद तटबंध क्यों बह गए।
जानकारी के मुताबिक करीब 90 लाख रुपये की लागत से अस्थायी तटबंध बनाए गए थे ताकि स्टेडियम को बचाया जा सके। लेकिन हालात ऐसे बने कि यह तटबंध टिक नहीं पाए। अब जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपी जाएगी।
अधिकारियों ने बताया कि इस वक्त अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम की सुरक्षा के लिए 36 करोड़ रुपये की लागत से बड़ा काम चल रहा है। सिंचाई खंड हल्द्वानी के अधिशासी अभियंता को आदेश दिए गए हैं कि इस काम में तेजी लाएं और समय से पहले इसे पूरा करें। साथ ही जो नुकसान इस बरसात में हुआ है उसका पूरा ब्योरा भी तैयार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि 2024 की आपदा के दौरान गौला नदी का जलस्तर इतना बढ़ा था कि स्टेडियम को भारी क्षति हुई थी। तभी से राज्य सरकार और खेल विभाग मिलकर स्टेडियम को सुरक्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसी योजना के तहत नदी किनारे करोड़ों की लागत से सुरक्षा दीवार बनाई जा रही है ताकि आगे ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
