Guruji Shibu Soren Death: लंबे समय से बीमार चल रहे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का हुआ निधन

झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का आज सोमवार को सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार…

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झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का आज सोमवार को सुबह निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में दम तोड़ा। उनके निधन पर शोक जताते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके बेटे हेमंत सोरेन ने कहा कि गुरु जी हम सभी का साथ छोड़कर चले गए।


पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का आज सुबह 8:48 पर निधन हुआ। वह गंगाराम अस्पताल में नेफ्रोद डिपार्टमेंट में भर्ती थे। उन्हे किडनी से संबंधित परेशानी थी। इसके अलावा उनके शरीर में और कुछ भी परेशानी थी। उनकी उम्र 81 साल की थी। झारखंड के मुख्यमंत्री और उनके बेटे हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर अपने पिता के निधन के बारे में जानकारी दी और पोस्ट भी डाला।


शिबू सोरेन का लंबे समय से अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्हें 24 जून को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। तब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बताया था कि उन्हें हाल में भर्ती कराया गया है इसलिए हम उन्हें देखने आए हैं। उनकी स्वास्थ्य समस्याओं की जांच की जा रही है।


झारखंड राज्य बनाने के आंदोलन में अग्रणी रहे शिबू सोरेन को उनके प्रशंसक गुरु जी के नाम से बुलाते थे। वह तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हालात के एक बार भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए। वह बिहार से अलग कर बनाए गए झारखंड के तीसरे मुख्यमंत्री (2005) बने. 2005 में अपने पहले कार्यकाल के दौरान वह महज 10 दिन, फिर 2008 में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान करीब एक साल और तीसरे कार्यकाल के दौरान कुछ महीने ही मुख्यमंत्री रह सके।


मुख्यमंत्री होने के अलावा शिबू सोरेन केंद्र के राजनीति में भी शामिल थे वह पहली बार 1980 में सांसद चुने गए थे उन्होंने साल 1977 में लोकसभा चुनाव में पहली बार अपनी किस्मत भी आजमाई लेकिन उन्हें दुमका सीट से हार मिली वह चुनाव में भारतीय लोक दल के बटेश्वर हेंब्रम से हार गए।
हालांकि 1980 के चुनाव में वह सांसद चुन लिए गए।

वह पहली बार दुमका से सांसद बने। इसके बाद साल 1986, 1989, 1991 और 1996 में लगातार जीत हासिल की। हालांकि 1998 के चुनाव में उन्हें बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी से शिकस्त का सामना करना पड़ा। 1999 के चुनाव में उन्होंने अपनी पत्नी को मैदान में उतारा लेकिन वो भी हार गईं। इसके बाद 2004, 2009 और 2014 में भी वह दुमका सीट से विजयी रहे।


कुल मिलाकर वह 8 बार लोकसभा सांसद रहे. इसके अलावा शिबू केंद्र की नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री भी बने। इस समय वह राज्यसभा के सांसद थे। वह केंद्र में 3 बार कोयला मंत्री (2004, 2004 से 2005 और 2006) रहे।