भारत में तेजी से बढ़ रहा गोल्ड लोन कारोबार, इस साल ₹15 लाख करोड़ के पार जाने के आसार

भारत में सोने पर लोन देने का कारोबार अब पहले से कहीं ज्यादा तेजी पकड़ चुका है। एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि…

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भारत में सोने पर लोन देने का कारोबार अब पहले से कहीं ज्यादा तेजी पकड़ चुका है। एक नई रिपोर्ट में बताया गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश का गोल्ड लोन बाजार पंद्रह लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकता है। यह लक्ष्य पहले तय अनुमान से एक साल पहले हासिल हो जाएगा।

आईसीआरए की रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने की बढ़ती कीमतों की वजह से आने वाले समय में यानी वित्त वर्ष 2027 तक यह आंकड़ा अठारह लाख करोड़ रुपये तक जा सकता है। इसका मतलब है कि अब घरों में रखा सोना सिर्फ गहनों तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि लोगों के लिए आसान वित्तीय सहारा बन गया है।

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि अनसिक्योर्ड लोन की रफ्तार कुछ धीमी पड़ी है लेकिन इसके बीच एनबीएफसी और बैंकों के लिए गोल्ड लोन नए मौके लेकर आया है। लोग अब ऐसे लोन को तरजीह दे रहे हैं जो किसी ठोस संपत्ति के बदले मिलते हैं। इससे उधार देने वाली कंपनियों के लिए जोखिम भी कम होता है।

आईसीआरए लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट ए एम कार्तिक के मुताबिक एनबीएफसी के पास गोल्ड लोन का एयूएम यानी कुल प्रबंधन संपत्ति लगातार बढ़ रही है। क्योंकि बाजार में अब निवेशक और संस्थान सुरक्षित लोन की दिशा में बढ़ रहे हैं।

वित्त वर्ष 2025 के आखिर तक गोल्ड लोन करीब 26 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़े और मार्च 2025 तक 11.8 ट्रिलियन रुपये तक जा पहुंचे। इस दौरान बैंकों ने एनबीएफसी के मुकाबले थोड़ा ज्यादा विस्तार दिखाया। रिपोर्ट के मुताबिक कुल गोल्ड लोन मार्केट में बैंकों की हिस्सेदारी 82 प्रतिशत है जबकि बाकी हिस्सा एनबीएफसी के पास है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि गोल्ड लोन में जो बढ़ोतरी दिखी है वह ज्यादातर कृषि और आभूषणों के बदले दिए गए ऋणों से प्रेरित रही। किसान और छोटे कारोबारी अपने जरूरी खर्च पूरे करने के लिए सोने पर लोन लेना ज्यादा सुविधाजनक समझ रहे हैं। हालांकि वित्त वर्ष 2025 में बैंकों ने पात्रता नियम कड़े किए जिससे इस वृद्धि की रफ्तार थोड़ी कम हुई। कुछ ऋणों को खुदरा श्रेणी में फिर से जोड़ा गया ताकि जोखिम नियंत्रण में रखा जा सके।

कार्तिक का कहना है कि गोल्ड लोन देने वाली कंपनियां अपनी मजबूत लोन वितरण व्यवस्था के दम पर अब भी बेहतर कमाई कर रही हैं। लेकिन बैंकों के तेजी से इस क्षेत्र में उतरने और नए खिलाड़ियों के आने से प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। इसका असर मुनाफे पर पड़ सकता है क्योंकि ब्याज दरों पर दबाव बढ़ेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि इस बढ़ती प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए कंपनियों को अपनी कार्यप्रणाली और तकनीक को और तेज करना होगा। परिचालन लागत घटाकर ही वे अपने मुनाफे को स्थिर रख पाएंगी और बाजार में अपनी पकड़ बनाए रख सकेंगी।