राज्यपाल सत्यपाल मलिक अब इस दुनिया में नहीं रहे। दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में उनका लंबे समय से इलाज चल रहा था। तमाम कोशिशों के बाद भी डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके। उन्होंने जम्मू कश्मीर गोवा और मेघालय जैसे कई राज्यों में राज्यपाल के तौर पर अपनी जिम्मेदारियां निभाईं। उनका सियासी सफर छात्र राजनीति से शुरू हुआ था। समाजवादी सोच से निकले मलिक एक वक्त सांसद रहे और फिर कई राज्यों के गवर्नर भी बने। अपने आखिरी कुछ सालों में वह बीजेपी से जुड़े रहे और कई बार सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की।
सत्यपाल मलिक के एक्स अकाउंट से उनके निधन की पुष्टि की गई है। उनके निजी सहायक ने इसी अकाउंट से 9 जुलाई को बताया था कि उनकी हालत बेहद गंभीर है। वह खुद को चौधरी चरण सिंह का शागिर्द मानते थे। किसान आंदोलन के दौरान उन्होंने खुलकर सरकार का विरोध किया था। कई जगहों पर किसान पंचायतों में शामिल हुए। उन्होंने बार बार सरकार से विवादित तीनों कानूनों को वापस लेने की अपील की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधे सवाल उठाने की वजह से वह अक्सर खबरों में बने रहते थे।
साल 2017 से 2022 के बीच पांच अलग अलग राज्यों में राज्यपाल की जिम्मेदारी उन्होंने संभाली। सबसे पहले बिहार फिर जम्मू कश्मीर उसके बाद गोवा और फिर मेघालय में उन्हें गवर्नर बनाया गया। उनका नाम खासतौर पर जम्मू कश्मीर से जुड़ा रहा। क्योंकि उनके कार्यकाल के दौरान ही धारा 370 हटाई गई और राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया। लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिला। इसी को लेकर बाद में वह कई बार विवादों में भी आ गए।
हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से जुड़े एक मामले में उन्होंने भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। लेकिन उसी मामले में बाद में उनके ही खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी। अस्पताल से ही उन्होंने इस पर नाराजगी जताई थी और सवाल उठाया था कि जिसने घोटाले की बात उठाई उसी को कटघरे में खड़ा कर दिया गया। लोकसभा चुनाव 2024 के वक्त भी वह सत्ता पक्ष के खिलाफ मुखर दिखे। उन्होंने खुलकर सरकार की नीतियों का विरोध किया और जनता से विपक्ष के समर्थन में मतदान की अपील की थी।
