जयपुर के एसएमएस अस्पताल में लगी आग, 6 मरीजों की हुई मौत, सीएम भजनलाल ने लिया जायजा

राजस्थान की राजधानी जयपुर में देर रात एक बेहद दिल दहलाने वाली घटना हुई। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह अस्पताल में ट्रामा…

Pi7compressedScreenshot 20251006 120107

राजस्थान की राजधानी जयपुर में देर रात एक बेहद दिल दहलाने वाली घटना हुई। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल सवाई मानसिंह अस्पताल में ट्रामा सेंटर मे आग लगने से 6 मरीजों की मौत हो गई जबकि अन्य लोग गंभीर रूप से जल गए।

यह हादसा करीब 12:30 बजे ट्रामा सेंटर की दूसरी मंजिल पर स्थित आईसीयू में हुआ जब अधिकांश मरीज वेंटीलेटर और अन्य लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की वजह सामने आ रही है।

ट्रामा सेंटर प्रभारी ने बताया कि हादसे के वक्त आईसीयू और ट्रॉमा सेमी-ICU में कुल 18 मरीज भर्ती थे। इनमें से 11 मरीज उसी वार्ड में थे, जहां आग लगी थी। आग लगते ही वहां मौजूद मशीनों से उठे धुएं और जहरीली गैसों ने स्थिति और गंभीर बना दी। बताया जा रहा है कि कई मरीज पहले से ही गंभीर हालत में थे या कोमा में थे जिससे उनका रिस्पांस भी देर से मिला।

जब तक मरीजों को शिफ्ट किया गया। तब तक 6 मरिज दम तोड़ चुके थे इसमें चार पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं।


आग की खबर मिलते ही अस्पताल परिसर में अफरा-तफरी मच गई। स्टाफ, सुरक्षाकर्मी और रिश्तेदार मरीजों को बाहर निकालने में जुट गए। दमकल विभाग की 12 से अधिक गाड़ियां मौके पर पहुंचीं और करीब एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया। 18 मरीजों को तुरंत दूसरे वार्डों और अस्पताल के सुरक्षित हिस्सों में शिफ्ट किया गया। इनमें से 5 की हालत अभी भी गंभीर बताई जा रही है।

अस्पताल स्टाफ के कई सदस्यों और परिजनों को भी धुएं से सांस लेने में दिक्कत हुई, जिनका इलाज वहीं किया जा रहा है। इस घटना की जानकारी के बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा रात में ही मौके पर पहुंचे उन्होंने हालात का जायजा लिया और अधिकारियों को राहत कार्य तेज करने के लिए निर्देश दिए उन्होंने कहा कि यह घटना बेहद दुखद है।


मुख्यमंत्री ने इस हादसे की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं। स्वास्थ्य विभाग को पूरे अस्पताल के इलेक्ट्रिकल सिस्टम, फायर अलार्म, और आपातकालीन प्रोटोकॉल की समीक्षा करने के निर्देश दिए गए हैं।

सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक रिपोर्ट में बताया गया है कि ICU के अंदर फायर डिटेक्टर सिस्टम काम नहीं कर रहा था और आपातकालीन निकासी मार्गों में भी बाधाएं थीं, जिससे मरीजों को बाहर निकालने में मुश्किल हुई।