जाने इस त्योहारी सीजन में सरिया, टाइल्स और पेंट पर कितना काम हुआ जीएसटी, सीमेंट भी सस्ती लेकिन ईट है महंगी

इस त्योहारी सीजन में जहां लोगों ने सोना चांदी की खरीदारी अभी से करनी शुरू कर दिया तो वही घर खरीदने वालों के लिए भी…

GST team took major action against fake firms, seized Rs 35132, 70 people were arrested

इस त्योहारी सीजन में जहां लोगों ने सोना चांदी की खरीदारी अभी से करनी शुरू कर दिया तो वही घर खरीदने वालों के लिए भी यह गोल्डन ऑफर से काम नहीं है। क्योंकि जीएसटी दरों में कटौती के बाद दिल्ली एनसीआर समेत के राज्यों में प्रॉपर्टी के दाम कम हो गए हैं जिस वजह से मकान पहले से ज्यादा किफायती हो गए हैं।

अब सीमेंट और सरिया जैसी निर्माण सामग्री भी धीरे-धीरे स्थिर हो गई है। ईटों की कीमतों में बढ़ोतरी जरूर हुई है। रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी की दरों में कमी से न केवल वित्तीय भोज काम होगा बल्कि घर खरीदने वाले भी फायदे में रहेंगे।


जीएसटी 2.0 की सबसे बड़ी खासियत यह है कि घर बनाने में लगने वाली चीजों पर नए टैक्स स्लैब बनाए गए हैं। पहले इन पर अलग-अलग तरह का टैक्स लगता था, जिससे बोझ ज्यादा पड़ता था। यूजेन इन्फ्रा के डायरेक्टर अमित ममगांई बताते हैं कि ये सुधार न केवल कर नीति को सरल बनाते हैं, बल्कि राज्यों में हाउसिंग की मांग को भी प्रोत्साहित करने का लक्ष्य रखते हैं।


सीमेंट और रेडी-मिक्स कॉन्क्रीट: पहले 28% की दर से इस पर टैक्स लगाया जाता था लेकिन अभी 18 परसेंट कर दिया गया है जिसकी वजह से यह काफी केफायती हो गए हैं कल निर्माण खर्च में सीमेंट का योगदान 20 से 25% होता है इससे घर बनाना आसान हो गया है


वार्निश और पेंट्स: इन पर जीएसटी दर 28% से घटाकर 18% कर दी गई है, जिससे घर के इंटीरियर और फिनिशिंग खर्च में कमी आएगी।
स्टील बार और अन्य सामग्री- स्टील पर भी अब 18% का जीएसटी लगेगा जिससे डेवलपर की खरीद लागत में बचत होती है और ये लाभ अंत-उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जा सकता है।


प्लाईवुड और अन्य लकड़ी उत्पाद- जो पहले उच्च स्लैब के अंतर्गत आते थे, अब 18% स्लैब में शामिल हैं, जिससे कारपेंट्री और इंटीरियर खर्च में कमी आएगी।


घर कितने सस्ते हुए हैं?
इन महत्वपूर्ण निर्माण सामग्रियों पर जीएसटी दलों में कमी से पूरे देश में कुल लागत में तीन से पांच प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है यानी जिस घर की कीमत 22 सितंबर से पहले 70 लाख थी, जीएसटी में सुधार के बाद अब उसकी कीमत 67.9 लाख रुपए हो जाएगी। और आसान शब्दों में कहें तो आपकी 2.10 लाख रुपए तक की सीधी बचत हो सकती है।


दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद जैसे शहरों में निर्माण गतिविधि और सामग्री की कीमतें ज्यादा हैं, जो कुल कीमतों में महत्वपूर्ण हिस्सा रखते हैं, इसलिए यहां संपत्ति की कीमतों में अधिक तीव्र समायोजन देखने को मिलेगा।


दिल्ली-एनसीआर: जहां वर्टिकल कंस्ट्रक्शन में सीमेंट और स्टील का ज्यादा इस्तेमाल होता है। केवल सीमेंट पर 10% जीएसटी की कटौती से फ्लैट की कीमतें लगभग 1 से 1.2% तक कम हो सकती हैं।


महाराष्ट्र और कर्नाटक: मिड-सेगमेंट प्रोजेक्ट्स की बड़ी पाइपलाइन निर्माण में 3-4% सस्ती होगी, जिससे डेवलपर्स को घर की कीमतें घटाने या उपभोक्ताओं को अतिरिक्त प्रोत्साहन देने का अवसर मिलेगा।


लखनऊ, इंदौर और कोयम्बटूर जैसे टियर II शहर, जो किफायती हाउसिंग द्वारा नियंत्रित हैं, वहां ईंट और टाइल्स के 5% जीएसटी स्लैब में आने से नए यूनिट्स अधिक सस्ते हो जाएंगे।