Father’s Day Special: ‘फेल होना हमारे खानदान की परंपरा है’,

नई दिल्ली। बच्चों के लिए बचपन में सारा संसार पिता होते हैं, जिनकी अंगुली पकड़कर बच्चे चलना सीखते हैं। कभी फिल्मी पिता की तरह हमारी गलतियों…

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नई दिल्ली। बच्चों के लिए बचपन में सारा संसार पिता होते हैं, जिनकी अंगुली पकड़कर बच्चे चलना सीखते हैं। कभी फिल्मी पिता की तरह हमारी गलतियों को नजरअंदाज करते हैं तो कभी-कभी सख्त पिता की तरह छोटे-बड़े काम को मना भी कर देते हैं। बॉलीवुड में भी ऐसे कई पिताओं की छवि दर्शकों के मन में बसी हुई है और इनके कुछ डायलॉग आज भी हमें गुदगुदाते तो कुछ इमोशनल कर देते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं फिल्मी पर्दे के ऐसे मशहूर डायलॉग्स जिन्होंने हर युवा के दिल पर दस्तक दी है। 

‘जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी’ 
साल 1995 में बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ कमाई करने वाली ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में काजोल के पिता बने अमरीश पुरी पर फिल्माया गया एक डायलॉग, ‘जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी’ उस समय लोगों की जुबान पर चढ़ गया था। फिल्म के इस डायलॉग ने खूब सुर्खियां बटोंरी थीं। इतना ही नहीं आज भी लोग एक दूसरे को बातों ही बातों में कई बार ये डायलॉग मार देते हैं।

रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह’ 
साल 1988 में आई फिल्म शहंशाह का एक डायलॉग है ‘रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह’, बहुत फेमस हुआ था। अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया ये डायलॉग आज भी कई बार पापा अपने बच्चों से बात करते समय उन्हें बोलते हुए नजर आ ही जाते हैं। 

मैं मरूंगा तो बुलेट से मरूंगा, बीपी या शूगर से नहीं’
अमिताभ बच्चन की फिल्म बुढ्ढा होगा तेरा बाप साल 2011 में आई थी। इस फिल्म में उनके साथ एक्टर सोनू सूद और प्रकाश राज जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में थे। ये डायलॉग अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया था। इस फिल्म का निर्देशन पुरी जगन्नाध ने किया था। 

‘अगर हमारे बेटा को कुछ हो जाता तो इतना गोली मारते कि आपका ड्राइवर भी खाली खोका बेच बेच कर रईस हो जाता।’ 
ये मशहूर डायलॉग मनोज वाजपेयी की फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर 1 का है। फिल्म में सरदार खान का किरदार निभाने वाले मनोज वाजपेयी ये डायलॉग उस समय बोलते हैं जब रामाधीर सिंह ( तिग्मांशु धूलिया) को धमकी दे रहे होते हैं। फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर 1 साल 2012 में आई थी। इस फिल्म का निर्देशन अनुराग कश्यप ने किया था। 

अनुपम खेर, (धर्मवीर मल्होत्रा, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे 1995)
‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ में शाहरुख के पिता बने अनुपम खेर बेटे के फेल हो जाने पर डांटने की जगह प्यार से समझाते है कि फेल होने से क्या डरना यह तो हमारे खानदान की परम्परा है। भई! पापा का इतना कूल अवतार देखकर किसे हंसी नहीं आएगी। 

म्हारी छोरियां छोरों से कम है के’
‘दंगल’ फिल्म के इस दमदार डायलॉग में समाज के लिए एक संदेश भी छुपा हुआ है। आमिर खान को अपनी बेटियों पर बहुत भरोसा होता है और वे अक्सर अपनी बेटियों को ऐसे ही दमदार डायलॉग बोलकर मोटिवेट करते हैं।