गाजियाबाद के शास्त्री नगर इलाके में पुलिस ने एक लाइसेंसी शराब दुकान के पीछे बने छिपे कमरे से नकली शराब का रैकेट पकड़ लिया है। दुकान के पीछे बने इस कमरे में प्रीमियम ब्रांड की नकली शराब बनाई जा रही थी। मौके से कई बोतलें, ढक्कन और खाली पैकिंग जब्त की गई है। बताया गया है कि चंडीगढ़ से बोतलें और मेरठ से नकली ढक्कन मंगाकर यहां शराब तैयार की जा रही थी। इस मामले के सामने आने के बाद सवाल यह है कि जो शराब आप खरीद रहे हैं, वह असली है या नकली।
असली शराब की बोतल पर टैक्स स्टाम्प, बारकोड या QR कोड, साफ प्रिंटिंग और सही स्पेलिंग होती है। अगर लेबल धुंधला हो, रंग हल्का हो या शब्दों में गलती हो, तो यह चेतावनी है। फैक्ट्री सील वाली बोतल का ढक्कन पूरी तरह फिट होता है। ढीला ढक्कन या असमान बनावट नकली शराब का संकेत है। ब्रांडेड बोतलों में नीचे या साइड में मोल्ड नंबर या निशान होता है। सस्ते नकली वर्जन में यह नहीं होता है।
बोतल को हल्का हिलाएं। अगर झाग, धुंधलापन या कण दिखें, तो शराब नकली हो सकती है। बुलबुले धीरे-धीरे नीचे गिरते हैं तो यह मिलावट का सबूत है। रंग में बदलाव या असमानता भी संदिग्ध है। हर बोतल पर QR या सीरियल नंबर स्टिकर होता है। यह ढक्कन और बोतल को जोड़ता है। बिना स्टिकर वाली शराब कभी न खरीदें।
दिल्ली सरकार की आबकारी विभाग की वेबसाइट delhiexcise.gov.in/Portal/liquorsalecheck पर जाकर बोतल का सीरियल नंबर डालकर असली नकली की पहचान की जा सकती है। सही नंबर डालने पर ब्रांड नाम, मात्रा और कीमत पता चल जाती है। नंबर अमान्य या जानकारी न दिखे तो बोतल संदिग्ध है। mLiquorSaleCheck ऐप से भी QR या बारकोड स्कैन कर असली नकली पता किया जा सकता है।
शराब खरीदते समय सिर्फ स्वाद नहीं, सुरक्षा भी ध्यान में रखें। लेबल, सील और सीरियल नंबर की जांच करें। संदिग्ध बोतल मिले तो तुरंत शिकायत दर्ज करें। क्योंकि छोटी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
