उत्तराखंड ने अब केंद्र सरकार की जल नीति 2024 को अपना लिया है। इसके साथ ही प्रदेश में पानी के इस्तेमाल और प्रदूषण को लेकर नए नियम लागू हो गए हैं। ये नियम अब सीधे अधिकारियों और संस्थानों की जिम्मेदारी तय करेंगे। सरकार ने यह कदम पानी की बढ़ती गंदगी और लापरवाही पर रोक लगाने के लिए उठाया है।
केंद्र की संस्था पहले ही राज्य को जल प्रदूषण के कई मामलों में चेतावनी दे चुकी थी। खासकर सिडकुल इलाके में गंदे पानी के ट्रीटमेंट को लेकर हाल ही में नोटिस जारी हुआ था। विधानसभा में इस नीति को अपनाने का प्रस्ताव इस साल फरवरी में पास किया गया था। अब इसे पूरी तरह लागू कर दिया गया है।
नई नीति के मुताबिक अगर कोई संस्था या व्यक्ति पानी को गंदा करता है तो उसे अब जुर्माना देना होगा। छोटे उल्लंघन पर पांच हजार से दस हजार रुपये तक का जुर्माना तय किया गया है। जबकि गंभीर मामलों में यह रकम दस हजार से लेकर पंद्रह लाख रुपये तक जा सकती है। अगर कोई व्यक्ति जुर्माना नहीं देता है तो उस पर जुर्माने की रकम से दोगुना तक दंड या तीन साल तक की जेल हो सकती है।
केंद्र सरकार अब इस नीति के तहत निर्णायक अधिकारी नियुक्त करेगी। ये अधिकारी संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के पद के होंगे। अगर किसी को इन अधिकारियों के फैसले से आपत्ति होगी तो वह राष्ट्रीय हरित अधिकरण में अपील कर सकेगा। लेकिन अपील करने से पहले जुर्माने की दस प्रतिशत राशि जमा करनी होगी।
राज्य के पर्यावरण विभाग का कहना है कि इस नीति के लागू होने से औद्योगिक इकाइयों की जवाबदेही बढ़ेगी। अब प्रदूषण नियंत्रण की प्रक्रिया ज्यादा पारदर्शी और असरदार बनेगी। इससे प्रदेश में पानी की गुणवत्ता को बनाए रखना आसान होगा और प्रदूषण पर बेहतर निगरानी रखी जा सकेगी।
