कर्नाटक के बागलकोट से एक ऐसा मामला सामने आया है. जिसने असफलता को लेकर सोच बदलने की एक मिसाल पेश की है. दसवीं की परीक्षा में फेल हुए एक छात्र के घर में मातम नहीं. बल्कि जश्न जैसा माहौल देखने को मिला.
बसवेश्वर इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले अभिषेक चोलाचगुड्डा को बोर्ड परीक्षा में सिर्फ दो सौ अंक मिले. कुल छह विषय थे और वह सभी में फेल हो गया. आमतौर पर ऐसी स्थिति में बच्चों को ताने मिलते हैं. डांट पड़ती है. लेकिन अभिषेक के साथ ऐसा कुछ नहीं हुआ.
उसके दोस्त उसका मजाक उड़ा रहे थे. लेकिन उसके माता पिता ने उसे गले लगाया. उन्होंने न सिर्फ उसे समझाया. बल्कि उसका हौसला बढ़ाने के लिए घर पर छोटा सा जश्न भी मनाया. केक काटा और उसे यह अहसास दिलाया कि वह अकेला नहीं है.
अभिषेक के माता पिता का कहना है कि एक परीक्षा में नाकामी का मतलब जिंदगी में हार नहीं होता. उन्होंने बेटे से कहा कि वह चाहे तो दोबारा कोशिश कर सकता है. और मेहनत से दोबारा जीत हासिल कर सकता है.
अभिषेक ने भी अपने माता पिता का शुक्रिया अदा किया. उसने कहा कि जब सबने मुंह मोड़ लिया. तब मेरे मां बाप ने मेरा साथ दिया. मैं फिर से पढ़ाई करूंगा. परीक्षा पास करूंगा. और उन्हें मुझ पर गर्व करने का मौका जरूर दूंगा.
