चौखुटिया:: स्वास्थ्य सुविधाओं की बहाली के लिए चल रहे आंदोलन को द्वाराहाट के विधायक मदन बिष्ट ने अपना पूर्ण समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में अपनो के साथ खोने का दर्द वह जानते हैं।
उन्होंने अपनी पत्नी को खोया है जबकि ब्रेन हेमरेज से जूझने के बाद उन्हें यहां कोई उपचार नहीं मिल पाया। बिष्ट ने अपने सोशल मीडिया हेंडल पर एक मार्मिक पोस्ट की है और अपना पूर्ण समर्थन दिया है।
“स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में चल रहे सामुदायिक केंद्र चौखुटिया की स्थिति को दुरुस्त करने हेतु आज 15 अक्टूबर 2025 को गेवाड़ घाटी चौखुटिया में जो रैली आयोजित हुई सबसे पहले मैं अपने गेवाड़ के लोगों को उनकी एकता एवं स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति जागरूकता के लिए बहुत बहुत बधाई एवं धन्यवाद अर्पित करता हूं एवं इस जन आंदोलन का पूर्ण समर्थन करता हूं एवं हर तरीके के सहयोग के लिए मैं आंदोलनकारियों के साथ खड़ा हूं।
मेरे द्वारा आंदोलन स्थल पर पहुंचकर माननीय स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत जी एवं स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार से फोन पर वार्ता की गई जिसमें उनके द्वारा तीन कार्य दिवसों में तात्कालिक कार्यवाही करते हुए समाधान की बात की गयी थी परन्तु अतिथि तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई का ना होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण हैं साथ ही साथ ये सरकार की पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति संवेदनहीनता को भी दर्शाता हैं।
मेरे द्वारा पूर्व में जब देहरादून में विधानसभा सत्र आहूत किया गया था तब सदन में सामुदायिक केंद्रों में जो स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति हैं उस पर बात की गयी थी एवं विधानसभा अध्यक्ष महोदया के साथ ही साथ पूरे सदन को इस बात से परिचित कराया गया था कि कैसे पहाड़ों के अस्पताल मात्र रेफर सेन्टर बन कर रह गये हैं जिसमें रोज कोई ना कोई व्यक्ति दम तोड़ रहा हैं सीएचसी एवं पीएचसी मात्र नाम के हैं उनमें स्टाफ की उपलब्धता मानकों के अनुरूप भी नहीं है एक या दो कर्मचारियों पर पूरा सिस्टम चल रहा हैं जो मात्र रेफर करने के अलावा और कुछ नहीं कर रहे हैं तब भी सरकार ने कारवाई का हवाला देते हुए मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया और अतिथि तक स्थिति पूर्व की भांति ही हैं जो अत्यधिक दुःखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
अभी विगत 8 जून को मेरी धर्मपत्नी को भी ब्रेन स्ट्रोक हुआ तथा इन लचर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण उन्हें यहां कहीं उपचार नहीं मिला एवं आपरेशन के लिए बाहर ले जाना पड़ा परन्तु समय से उपचार न मिलने पर उनकी स्थिति बिगड़ती गई एवं 79 दिनों के संघर्ष के बाद उनका देहांत हो गया इसलिए जिस स्थिति से समूचा पहाड़ गुजर रहा हैं मैं उस स्थिति को समझता हूं तथा उपचार न मिलने के कारण अपनों को खोना का दर्द भी मुझसे बेहतर और कौन समझ सकता हैं।
इसलिए अब यह लड़ाई व्यक्ति विशेष या मात्र गेवाड़ घाटी चौखुटिया की नहीं बल्कि पूरे प्रदेश की हैं परन्तु मैं अपने स्वास्थ्य कारणों से आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग नहीं ले पा रहा हूं लेकिन जन आंदोलन में मेरी जो भी सहभागिता निर्धारित की जायेगी मैं उसे पूर्ण करने के लिए तत्पर तैयार रहूंगा।”
