मनरेगा का नाम बदलने को लेकर चल रही बहस अभी शांत भी नहीं हुई थी कि अब एक और मुद्दा चर्चा में आ गया है। CPI के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास का कहना है कि केंद्र सरकार भारतीय नोटों से महात्मा गांधी की तस्वीर हटाने की तैयारी में है। उन्होंने दावा किया कि इस विषय पर शुरुआती स्तर का एक प्लान भी बनाया जा चुका है और सरकार अब नोटों पर किसी दूसरे प्रतीक या तस्वीर को शामिल करने पर बात कर रही है।
ब्रिटास का यह भी कहना है कि भले ही RBI बार-बार ऐसे किसी भी कदम से इनकार करता रहा है, लेकिन असल स्थिति अलग है। उनके मुताबिक, इस मुद्दे पर उच्च स्तर की पहली बैठक हो चुकी है और यह सिर्फ कोई अफवाह नहीं है। उनके इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में फिर से सवाल उठने लगे हैं कि आखिर सरकार की असली मंशा क्या है।
नोटों पर तस्वीर बदलने की मांग पहले भी कई बार उठ चुकी है। कभी लक्ष्मी-गणेश की तस्वीर लगाने की बात कही गई, तो कभी डॉ. अंबेडकर, डॉ. कलाम या सरदार पटेल की। अरविंद केजरीवाल और सुब्रमण्यम स्वामी भी अलग-अलग समय पर ऐसे सुझाव दे चुके हैं। इनका तर्क अक्सर यह रहता है कि नोटों पर मौजूद तस्वीर देश की परंपरा और मान्यताओं को भी दर्शानी चाहिए।
महात्मा गांधी की तस्वीर को लेकर सवाल इसलिए उठते रहते हैं क्योंकि कुछ लोगों का मानना है कि अब नोटों पर दूसरे महापुरुषों की तस्वीरें भी दिखाई देनी चाहिए। दूसरी ओर, एक बड़ा वर्ग यह मानता है कि गांधीजी पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनकी जगह किसी और की तस्वीर रखने से विवाद बढ़ सकता है।
हकीकत यह है कि मौजूदा व्यवस्था में गांधीजी की तस्वीर हटाना लगभग नामुमकिन है। आजादी के बाद लंबे समय तक नोटों पर किसी नेता की तस्वीर नहीं थी—सिर्फ अशोक स्तंभ जैसे प्रतीक छापे जाते थे। बाद में जब किसी चेहरे को नोट पर लगाने की बात आई तो गांधीजी को इसलिए चुना गया क्योंकि उनकी स्वीकार्यता पूरे देश में थी।
2014 में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह भी बताया था कि RBI की एक समिति ने जांच के बाद कहा था कि गांधीजी से बेहतर कोई ऐसा व्यक्तित्व नहीं है जो भारत के मूल्यों और चरित्र को पूरी तरह दर्शा सके। इसलिए उनकी तस्वीर को बनाए रखना ही सही फैसला माना गया।
बीच-बीच में अफवाहें जरूर उठीं कि नोटों से गांधी की तस्वीर हटाई जा सकती है, लेकिन हर बार RBI ने साफ कहा कि ऐसा कोई प्रस्ताव उनके पास नहीं है।
भारत में नोटों पर गांधी की तस्वीर पहली बार 1969 में उनके जन्म शताब्दी पर छापी गई थी। इसके बाद 1996 में पूरी ‘महात्मा गांधी सीरीज’ जारी की गई, जिसे आज भी चलन में रखा गया है।
