दिल्ली में लाजपत नगर के एक लेडीज फैशन स्टोर ने प्रचार का ऐसा तरीका अपनाया है जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। आयशा मायशा नाम की इस दुकान ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक वीडियो डाला जिसमें यह दावा किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी दुकान पर आए थे।
तीन सितंबर को डाले गए इस वीडियो में यह दिखाया गया कि पीएम मोदी स्टोर में घुस रहे हैं दुकान मालिक से हाथ मिला रहे हैं और फिर शॉपिंग बैग लेकर बाहर निकल रहे हैं। कैप्शन में लिखा गया कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने आयशा मायशा का दौरा किया।
वीडियो सामने आते ही तेजी से वायरल हो गया लेकिन थोड़ी ही देर में लोगों ने इसकी हकीकत पर सवाल उठाना शुरू कर दिए। सोशल मीडिया पर कई यूजर ने तुरंत पकड़ लिया कि यह असली वीडियो नहीं बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से बनाया गया है। इसके बाद यह बहस शुरू हो गई कि क्या किसी बड़े सार्वजनिक चेहरे की छवि को इस तरह व्यापारिक मकसद से इस्तेमाल करना सही है।
जैसे ही वीडियो फैलता गया लोगों ने इसे पर्सनालिटी राइट्स और निजता के उल्लंघन का मामला बताया। एक्स पर एक यूजर ने लिखा कि एआई अब हद से बाहर जा रहा है और यह पूछा कि क्या यह कानूनी भी है। वहीं एक अन्य यूजर ने जब इस मुद्दे पर xAI के ग्रॉक से सवाल किया तो जवाब मिला कि भारत में किसी सार्वजनिक शख्सियत का चेहरा बिना अनुमति के व्यावसायिक उपयोग के लिए एआई से गढ़ना पर्सनालिटी राइट्स का उल्लंघन माना जा सकता है। भले ही डीपफेक पर अभी अलग से कोई कानून नहीं है लेकिन आईटी एक्ट की धाराओं के तहत कार्रवाई संभव है।
इस पूरे मामले ने एआई से बने कंटेंट के लिए सख्त नियम और साफ पारदर्शिता की मांग को फिर से हवा दे दी है। कई लोगों ने कहा कि एआई से तैयार हर वीडियो या फोटो पर वॉटरमार्क या डिस्क्लेमर होना जरूरी है ताकि यह साफ पता चल सके कि यह असली नहीं है।
एक यूजर ने लिखा कि एआई से बने हर कंटेंट पर साफ तौर पर लिखा होना चाहिए कि यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से तैयार है। वहीं एक और यूजर ने कहा कि भारत में एआई एक्ट बनना चाहिए क्योंकि बिना अनुमति किसी का चेहरा इस्तेमाल करना गलत है।
आखिरकार इस फैशन स्टोर को भले ही इस वीडियो से कुछ वक्त के लिए सुर्खियां मिल गई हों लेकिन इसने एआई के इस्तेमाल से जुड़े नैतिक और कानूनी पहलुओं पर गहरी बहस छेड़ दी है। जैसे जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आम लोगों की पहुंच में आता जा रहा है वैसे वैसे इसके दुरुपयोग को रोकने और लोगों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून और पारदर्शिता की जरूरत और बढ़ गई है।
