दिल्ली धमाका जांच में डॉ शाहीन को लेकर नया पर्दाफाश, महिलाओं को मानव बम बनाने की साजिश के सबूत
दिल्ली में हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है वैसे ही डॉ शाहीन का नया किरदार सामने आता जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक एजेंसियों को अब यह संकेत मिल रहे हैं कि शाहीन महिलाओं और नाबालिग लड़कियों को मानव बम के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी में थी। जांच टीम ने उसके फोन से डिलीट किए गए चैट्स को रिकवर किया है जिसमें कई चौंकाने वाली बातें मिली हैं।
इन चैट्स से पता यह भी चला है कि शाहीन ने सीमा पार बैठे हिजबुल के आतंकियों से एक खास तरह का विस्फोटक मंगाने की कोशिश की थी। हालांकि अब तक किसी भी विस्फोटक का मिलना बाकी है लेकिन जिस तरह की बातचीत सामने आई है उसने एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी है।
एजेंसियों के हाथ लगी जानकारी में यह बात भी सामने आई है कि जिस महिला या लड़की को आत्मघाती हमले के लिए चुना जाना था उसे कोड वर्ड में मुजाहिद जंगजू कहा जाता था। शाहीन की तलाश उन मुस्लिम महिलाओं पर ज्यादा थी जो तलाक के बाद अकेले रह रही थीं और जिनके परिवार के साथ संबंध लगभग टूट चुके थे। इसी तरह 14 साल से 18 साल की उन लड़कियों को भी निशाने पर रखा जा रहा था जिनका दिमाग आसानी से बदल लिया जाए। लड़कियों को चुनने से लेकर उन्हें मानसिक रूप से तैयार करने तक का पूरा जिम्मा शाहीन ही संभाल रही थी। इस पूरे अभियान को मिशन काफिर नाम दिया गया था।
उधर बैंक खातों की जांच में एक और बड़ा राज खुला है। शाहीन के साथ डॉ आदिल, डॉ आरिफ और डॉ परवेज के खातों में सात साल के भीतर 40 करोड़ से ज्यादा का संदिग्ध लेनदेन दर्ज हुआ है। पैसा ज्यादातर छोटे-छोटे अमाउंट में आया और गया और कई ऐसे लेनदेन 6 नवंबर को एक साथ किए गए। कुछ खाते 2021 के बाद से एकदम बंद पड़े मिले जबकि कुछ में हर सप्ताह 20 हजार से 25 हजार रुपये तक लगातार ट्रांसफर होते रहे। कई खातों में हर 15 दिन पर रकम डाली गई और अगले ही दिन वह पैसा निकाल लिया गया।
लेनदेन का तरीका भी बेहद अलग नजर आया। बड़े अमाउंट हमेशा एक खास पैटर्न में भेजे गए जिसमें 1 लाख 1 रुपये या 2 लाख 1 रुपये जैसे अमाउंट शामिल थे। ये रकम हर महीने 25 से 28 तारीख के बीच ही खातों में आती और निकल जाती थी। जांच अधिकारियों का मानना है कि रकम में 1 रुपये जोड़ना किसी कोड का हिस्सा हो सकता है जिसका मतलब सिर्फ नेटवर्क में शामिल लोगों को ही पता हो।
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि यूपी में शाहीन स्पेशल 26 नाम के एक नेटवर्क पर काम कर रही थी। इस नेटवर्क की बी टीम पर भी एजेंसियों की नजर है। शाहीन का प्लान हर टीम में पांच डॉक्टरों को जोड़ने का था और हर टीम की जिम्मेदारी एक लीडर के पास रहती जिसे hod कहा जाता। कानपुर में आरिफ लखनऊ में परवेज और सहारनपुर में आदिल को इसी कोड के तहत लीडर बनाया गया था। दो और शहरों में hod बनाने की तैयारी चल रही थी और एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि ये शहर कौन से थे। खास बात यह थी कि टीम के सामान्य सदस्य एक-दूसरे को जानते भी नहीं थे और न ही मिलते थे ताकि किसी एक टीम तक जांच पहुंच भी जाए तो बाकी टीमें बची रहें। शाहीन इसी तरीके से डॉक्टरों का एक स्लीपर सेल तैयार करने में लगी थी।
