मुजफ्फरपुर से ऐसा मामला सामने आया है जिसने इंसानियत को शर्म से झुका दिया है। एक महिला इलाज के लिए अस्पताल गई थी लेकिन जब वापस आई तो उसके शरीर में किडनी ही नहीं थी। बाद में उसकी मौत हो गई। अब इस मामले की जांच ईडी कर रही है और दो आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल हो चुकी है।
सुनीता देवी नाम की महिला अपनी मां के साथ एक निजी क्लीनिक में इलाज के लिए गई थी। उसे बच्चेदानी की समस्या थी। डॉक्टरों ने ऑपरेशन की बात कही और बीस हजार रुपये मांगे। गरीब परिवार ने जैसे तैसे इंतजाम किया और ऑपरेशन करवाया। लेकिन ऑपरेशन के बाद से ही उसकी हालत बिगड़ने लगी। यूरिन आना बंद हो गया। जब दूसरी जगह जांच कराई गई तो खुलासा हुआ कि महिला की दोनों किडनी ही निकाल ली गई हैं।
परिवार उसे दूसरी जगह इलाज के लिए ले गया जहां चालीस हजार रुपये और वसूले गए। कुल मिलाकर साठ हजार रुपये खर्च हो गए लेकिन सुनीता को बचाया नहीं जा सका। इक्कीस अक्टूबर दो हजार चौबीस को उसकी मौत हो गई।
इस मामले में सबसे पहले सकरा थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। इसमें अंग प्रत्यारोपण कानून और आईपीसी की गंभीर धाराएं लगाई गईं। बाद में ईडी ने इसमें जांच शुरू की। पता चला कि पवन कुमार और रविंद्र कुमार नाम के दो लोगों ने मिलकर यह खेल रचा था। दोनों ने गरीबी और मजबूरी का फायदा उठाया। इलाज के नाम पर महिला की किडनी निकाल ली और बाद में उसके परिवार से पैसे भी ऐंठ लिए।
ईडी ने इस साठ हजार की रकम को अपराध से कमाई हुई रकम माना है। सत्रह जून दो हजार पच्चीस को पटना की स्पेशल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई। कोर्ट ने सत्रह जुलाई को इस पर संज्ञान लिया। इससे पहले पवन कुमार को पटना की एससी एसटी कोर्ट ने दोषी ठहरा कर सजा सुना दी है। रविंद्र कुमार के खिलाफ अभी मुकदमा चल रहा है।
पूरा मामला बता रहा है कि किस तरह इलाज के नाम पर लोगों को मौत के मुंह में धकेला जा रहा है और कानून के हाथ अब धीरे धीरे उन तक पहुंच रहे हैं जो इस धंधे को चला रहे थे।
