संविधान दिवस पर लोकतंत्र की मजबूती और नागरिक जिम्मेदारियों का संदेश गूंजा, जानिए क्यों है यह दिन हर भारतीय के लिए खास

आज सुबह से पूरे देश में संविधान दिवस को लेकर एक खास माहौल है। बच्चे, युवा, बुजुर्ग—हर किसी के चेहरे पर एक अलग ही उत्सुकता…

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आज सुबह से पूरे देश में संविधान दिवस को लेकर एक खास माहौल है। बच्चे, युवा, बुजुर्ग—हर किसी के चेहरे पर एक अलग ही उत्सुकता दिखाई दे रही है, जैसे लोग केवल एक तारीख नहीं बल्कि अपनी पहचान को महसूस कर रहे हों। संविधान दिवस हर साल 26 नवंबर को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन भारत ने अपने संविधान को अपनाने का फैसला किया था। यह वही दस्तावेज है जिसने आज़ादी के बाद बिखरे हुए देश को एक मजबूत व्यवस्था में बदल दिया।

भारत का संविधान सिर्फ कानूनों की किताब नहीं है। यह उन सपनों और उम्मीदों का संग्रह है जिन्हें आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले लोगों ने देखा था। डॉ. भीमराव आंबेडकर की अगुवाई में बना यह संविधान करीब तीन साल की लंबी मेहनत के बाद तैयार हुआ था। यही वजह है कि इसे दुनिया के सबसे विस्तृत और मजबूत संविधानों में गिना जाता है। संविधान दिवस इस बात की याद दिलाता है कि आज जो अधिकार हमें आसानी से मिलते हैं, उनके पीछे कितनी मेहनत, कितनी बहसें और कितने सालों का संघर्ष रहा है।

इस दिन को मनाने का एक और बड़ा कारण यह है कि लोग अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी समझें। हम सभी जानते हैं कि संविधान हमें बोलने, जीने, विश्वास रखने और बुनियादी सुविधाओं का हक देता है, लेकिन यह भी कहता है कि देश चलाने में हर नागरिक की जिम्मेदारी बराबर है। यही जिम्मेदारी देश को आगे बढ़ाती है और लोकतंत्र को मजबूत बनाए रखती है।

आज देशभर के स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी दफ्तरों में प्रीएंबल पढ़ी जा रही है। कहीं बच्चे संविधान पर आधारित नाटक कर रहे हैं, तो कहीं शिक्षक इस बात को समझा रहे हैं कि अगर नागरिक जागरूक रहेंगे तो देश किसी भी मुश्किल से निकल सकता है। कई कार्यक्रमों में यह भी बताया जा रहा है कि संविधान ने भारत को एक ऐसा ढांचा दिया, जिसमें हर व्यक्ति को बराबरी का अधिकार मिला, चाहे वह किसी भी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र का हो।

संविधान दिवस का सबसे बड़ा संदेश यही है कि लोकतंत्र सिर्फ नेताओं या सरकारों से नहीं चलता, बल्कि उन लोगों से चलता है जो रोज़ अपने छोटे-छोटे कर्तव्य निभाते हैं। ट्रैफिक नियम मानना, दूसरे की स्वतंत्रता का सम्मान करना, देश की एकता को बनाए रखना—ये सब बातें संविधान की आत्मा का हिस्सा हैं।

आज का दिन हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि हमने इस देश के लिए अब तक क्या किया है और आगे क्या करना चाहिए। भारत अपनी विविधता और विशालता के बावजूद एकजुट खड़ा है, और इसके पीछे सबसे बड़ा सहारा हमारा संविधान है। इसलिए संविधान दिवस केवल एक समारोह नहीं है, बल्कि हर भारतीय के दिल में जिम्मेदारी जगाने वाला एक दिन है, जो बताता है कि देश तभी आगे बढ़ता है जब उसके लोग अपने अधिकार और कर्तव्य दोनों समझते हों।