पटना : लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान पर बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एनडीए से अलग होना अब भारी पड़ रहा है। पार्टी के पांचों सांसदों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया है। साथ ही चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया है। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का जिम्मा भी सौंपा गया है। चिराग पासवान, बिहार की सियासत में बिल्कुल अलग-थलग पड़ गए हैं। लोजपा में इस टूट की वजह भाजपा और जदयू के बीच चिराग को लेकर जारी तकरार को माना जा रहा है।
लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा सिंह, चंदन सिंह और प्रिंसराज की चिराग पासवान से राहें अलग हो गई हैं। रविवार देर शाम तक चली लोजपा सांसदों की बैठक में इस फैसले पर मुहर लग गई। बाद में पांचों सांसदों ने अपने इस फैसले की जानकारी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को भी दे दी। सांसदों ने उन्हें इस संबंध में आधिकारिक पत्र भी सौंप दिया। सोमवार यानी आज ये सांसद चुनाव आयोग को भी इसकी जानकारी देंगे। उसके बाद अपने फैसलों की आधिकारिक घोषणा भी करेंगे। उधर पार्टी प्रवक्ता अशरफ अंसारी ने ऐसी किसी टूट से इनकार किया है।
बता दें कि 28 नवंबर, 2000 को लोजपा बनी थी। रामविलास पासवान के निधन के बाद चिराग को पुत्र होने का फायदा मिला। विधानसभा चुनाव के दौरान चिराग ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया था। लेकिन एनडीए से बाहर निकलकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर उनके चाचा पशुपति कुमार पारस नाराज थे।
विधानसभा चुनाव के पहले भी पार्टी के सांसदों में टूट की बात सामने आई थी। उस वक्त भी बागी सांसदों का नेतृत्व पशुपति कुमार पारस ही कर रहे थे। हालांकि, बाद में अपने लेटर हेड पर इन चर्चाओं का खंडन कर पारस ने इस मामले पर विराम लगा दिया था। लेकिन चिराग के खिलाफ पार्टी में नाराजगी कम नहीं हुई। विधानसभा चुनाव में लोजपा के बेहद खराब प्रदर्शन के बाद यह नाराजगी चरम पर पहुंच गई। उधर, जेडीयू भी कई सीटों पर हार के लिए लोजपा को जिम्मेदार मानती है। चुनाव के दौरान और उसके बाद जेडीयू के नेता लोजपा पर तीखे हमले बोलते रहे हैं। अब पार्टी पर कब्जे को लेकर भी जोर-आजमाइश होनी तय है।

