चौखुटिया/ अल्मोड़ा:: 2 अक्टूबर 2025 से चौखुटिया में चल रहा आमरण एवं क्रमिक अनशन अब जन आंदोलन बन गया है।
इसकी बानगी बुधवार को देखी गई जब प्रस्तावित एक महा आक्रोश रैली में जन सैलाब उमड़ आया, जिसकी उम्मीद शायद ही सिस्टम को भी नहीं होगी। इधर बुधवार को भी धरना प्रदर्शन व अनशन कार्यक्रम जारी रहा।
सुबह प्रस्तावित रैली धरना स्थल रामगंगा आरती घाट से आरंभ होकर, चाँदीखेत खिरचौरा मन्दिर व रावत गैराज होते हुए पुनः अनशन स्थल तक पहुँची।
इस रैली में चौखुटिया के अतिरित्त चौखुटिया चमोली सीमा क्षेत्र व खनसर घाटी क्षेत्र की महिलाओं , बुजुर्ग, युवाओ सभी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और चौखुटिया की स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने की माँग को एक स्वर में बुलंद किया।
इस दौरान लोगों ने “स्वास्थ्य हमारा अधिकार है, चौखुटिया का संघर्ष जारी है” जैसे नारे लगाए और व्यापारियों ने त्योहारी सीजन में भी आंदोलन को समर्थन दिया और रैली के दौरान अपने प्रतिष्ठान बंद रखे।
लोगों का कहना था कि वह स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली से आए दिन मर रहे लोग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मानकों के अनुसार विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती, जरूरी उपकरणों की व्यवस्था के साथ ही यहां पर सुपर सुविधाओं से युक्त अस्पताल खोलने की मांग कर रहे हैं ।
यह भी कहना था कि उप जिला चिकित्सालय का शासनादेश आखिर कहां चला गया ।
यही नहीं स्वास्थ सुविधा की मांग कर रहे युवा अब शिक्षा के मुद्दे को उठा रहे थे, भीड़ में शामिल कुछ युवा पूछ रहे थे कि महाविद्यालय की स्थापना के पच्चीस सालों बाद भी पीजी का दर्जा क्यों नहीं मिला, बीएससी व बीकॉम की कक्षाएं क्यों शुरू नहीं हुई ।
कुछ पूर्व सैनिक कह रहे थे कि जनता के साथ केंद्रीय विद्यालय के नाम पर भी धोखा किया गया ।
इधर हमारा मंच हमारी बात के हेम कांडपाल ने अपनी पोस्ट में मार्मिकता से इस ज्वलंत मुद्दे पर अपनी टीप दी है।
उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि 2 अक्टूबर से आमरण अनशन पर बैठकर जन जागरण की मशाल जलाने वाले भुवन भाई व बुजुर्ग बचे सिंह की जन चेतना के दीप को जलाए रखने के लिए पार्वती मिश्रा,भोपाल सिंह बौरा, कैलाश पालीवाल, नरेंद्र रावत,चतुर सिंह नेगी,नरेंद्र बिष्ट, बुद्धि सिंह बिष्ट, कैलाश पांडे, हेमंत बंगारी, नवीन चंद्र तिवारी व चंद्रा कोहली जैसे आमरण अनशनकारियों व क्रमिक अनशन में भागीदारी करने वाले दर्जनों महानुभावों का भी साधुवाद ।
उन्होंने लिखा है कि अंत में यही कहूंगा कि यदि जनता जागी है तो स्वास्थ सुविधाओं सहित सभी विकास कार्यों का हिसाब अब लेकर रहेगी । जनता की पिछले चौदह दिनों की छटपटाहट और आंदोलन के प्रति समर्पण बहुत बड़ा संकेत दे रहा है इसलिए सिस्टम को सोच लेना चाहिए कि यदि समय रहते मांग पूरी नहीं हुई तो आक्रोश की ये ज्वाला विस्फोटक रूप भी ले सकती है ।
