बिहार चुनाव में टूटा 75 साल का रिकॉर्ड,पहले चरण में वोटिंग ने लिखा नया इतिहास

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में इस बार कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। राज्य में अब तक के सारे…

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बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में इस बार कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। राज्य में अब तक के सारे मतदान रिकॉर्ड ध्वस्त हो गए। चुनाव आयोग के मुताबिक पहले चरण में कुल 64.66 प्रतिशत मतदान हुआ जो बिहार के इतिहास में सबसे ज्यादा है। यह आंकड़ा 1951 के बाद यानी पूरे 75 साल में पहली बार दर्ज किया गया।

पहले चरण की वोटिंग में 121 विधानसभा क्षेत्रों में लगभग 3.75 करोड़ मतदाता अपने-अपने बूथों तक पहुंचे और लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी भागीदारी निभाई। मतदान प्रतिशत इतना अधिक रहा कि दोनों ही राजनीतिक खेमे इसे अपनी-अपनी तरह से पेश कर रहे हैं। सत्ता पक्ष इसे जनसमर्थन का प्रमाण बता रहा है तो विपक्ष इसे बदलाव का संकेत कह रहा है।

सबसे दिलचस्प बात यह रही कि मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर जिले ने वोटिंग के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। मुजफ्फरपुर में 70.96 प्रतिशत और समस्तीपुर में 70.63 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई। मधेपुरा, वैशाली, सहरसा, खगड़िया और लखीसराय में भी 65 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ। वहीं राजधानी पटना में 57 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई।

इतना अधिक मतदान क्यों हुआ, इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे कई वजहें हैं। सबसे बड़ा कारण एसआईआर बताया जा रहा है जिसके चलते लोगों को डर था कि उनका नाम वोटर लिस्ट से कट न जाए। इसलिए बड़ी संख्या में मतदाता बूथों तक पहुंचे। इसके अलावा छठ पूजा के बाद चुनाव की तारीख होने से भी लोगों को मतदान का अवसर मिला। वहीं महिलाओं की भारी भागीदारी और आसान चुनावी प्रक्रिया ने भी वोटिंग प्रतिशत को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।

1951-52 के पहले विधानसभा चुनाव में जहां सिर्फ 42.6 प्रतिशत मतदान हुआ था वहीं 2000 में यह बढ़कर 62.57 प्रतिशत तक पहुंचा था। 2020 के कोविड चुनावों में यह गिरकर 57.29 प्रतिशत रह गया था। लेकिन इस बार बिहार ने अपनी जनता की जागरूकता और लोकतंत्र में विश्वास का नया उदाहरण पेश किया है।

हालांकि पहले चरण की वोटिंग के दौरान कई जगहों पर विवाद और हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं। लखीसराय में डिप्टी सीएम की गाड़ी पर हमला हुआ। पटना के मनेर में आरजेडी उम्मीदवार भाई वीरेंद्र ने पुलिस अधिकारी को धमकी दी। वैशाली में भी आरजेडी प्रत्याशी के उकसाने पर लोगों ने CAPF जवानों पर पथराव किया। दरभंगा में पोलिंग एजेंट को धमकाने और पुलिस पर हमला करने की घटना हुई। जबकि सारण में CPI उम्मीदवार की गाड़ी पर हमला हुआ।

कई जिलों में बूथ कैप्चरिंग, EVM खराबी और मतदान के बहिष्कार जैसी घटनाएं भी हुईं। लालगंज में वोट चोरी के नारे लगे। वहीं नालंदा में चार बीजेपी कार्यकर्ता पर्ची बांटने के आरोप में हिरासत में लिए गए।

बावजूद इसके पूरे बिहार में लोकतंत्र का उत्सव देखने लायक रहा। पहली बार इतने बड़े स्तर पर मतदाताओं ने अपने अधिकार का इस्तेमाल कर इतिहास रच दिया।