मिशन यूपी के लिए अमित शाह का प्लान

‘मिशन यूपी 2022’ के अंतर्गत एक बार फिर समाज के सभी वर्गों को साधने की कोशिश शुरू कर दी गई है। जितिन प्रसाद जैसे ब्राह्मण…

‘मिशन यूपी 2022’ के अंतर्गत एक बार फिर समाज के सभी वर्गों को साधने की कोशिश शुरू कर दी गई है। जितिन प्रसाद जैसे ब्राह्मण चेहरे को महत्व देकर पार्टी ब्राह्मणों को साधने की कोशिश कर रही है तो अनुप्रिया पटेल और संजय निषाद की भी नाराजगी दूर कर कुर्मी, पटेल और निषाद समाज को भी साथ लाने की कोशिश कर रही है। प्रदेश की लगभग 41.5 फीसदी आबादी ओबीसी समुदाय को साथ लाने के लिए केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की चर्चा जोरों पर है तो पार्टी गैर-जाटव वोटरों को भी साधने की कोशिश कर रही है जिसके लगभग 48 फीसदी मतदाताओं ने 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे ही वोट दिया था।
लोकसभा चुनाव 2019 के बाद मनचाहा कैबिनेट मंत्रालय न मिलने से नाराज चल रही अनुप्रिया पटेल ने भाजपा नेता अमित शाह से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में उचित प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है। साथ ही उनकी पार्टी से प्रदेश सरकार में भी किसी एक विधायक को मंत्री बनाया जा सकता है। निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद भी अमित शाह से मिले हैं। अगले चुनाव को लेकर उनकी मुलाकात को भी बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उन्हें भी मंत्रालय में उचित भागीदारी देकर निषाद समाज तक एक बेहतर संदेश देने की कोशिश की जा सकती है।
पूर्वांचल में राजभर वोटरों का अपना एक अलग महत्त्व है। इस वोटर वर्ग को साधने के लिए भाजपा एक बार फिर सक्रिय हो गई है और उसने ओम प्रकाश राजभर को एक बार फिर साथ लाने की कोशिश शुरू कर दी है। कहा जा रहा है कि केंद्रीय कैबिनेट के एक वरिष्ठ मंत्री को उनसे बातचीत कर उन्हें साथ लाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कथित तौर पर सरकार में उचित जगह न मिल पाने के बाद उन्होंने अपनी अलग राह चुन ली थी।

दरअसल, पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उत्तर प्रदेश में एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए 80 में से 62 सीटें हासिल की थीं। दो सीटें उसकी सहयोगी दल अपना दल (एस) को भी प्राप्त हुई थीं। लोकनीति-CSDS के एक आंकड़े के अनुसार इस चुनाव में भाजपा को समाज के सभी वर्गों से वोट मिला था। ब्राह्मणों के कुल वोटरों का 82 फीसदी उसे मिला था तो राजपूत वोटरों के 89 फीसदी वोटों पर उसका अधिकार हासिल हुआ था।

लेकिन भाजपा की बड़ी ताकत बना ओबीसी और गैर-जाटव में मिला शानदार वोट। अनुमान है कि प्रदेश की 41.5 फीसदी आबादी वाले ओबीसी समुदाय के 72 फीसदी वोटरों ने भाजपा को ही वोट दिया था। इसी प्रकार कुर्मी समुदाय से 80 फीसदी, जाटव समाज से 17 फीसदी, अन्य दलित  समुदाय से 48 फीसदी वोटरों ने भाजपा को वोट दिया था जिसके कारण अन्य विपक्षी दल उसके आसपास भी नहीं फटक पाए। अनुमान है कि इस चुनाव में आठ फीसदी मुस्लिम समाज (विशेषकर महिलाएं) ने भी भाजपा को वोट दिया था।

इसके आलावा वैश्य समुदाय के 70 फीसदी, अन्य सवर्णों के 84 फीसदी और जाट मतदाताओं में 91 फीसदी ने भाजपा को अपनी पसंद बनाया था। यादव समाज को परंपरागत तौर पर समाजवादी पार्टी का वोटर माना जाता है, लेकिन पिछले चुनाव में लगभग 23 फीसदी यादव मतदाताओं ने भाजपा को वोट दिया था।  

भारतीय जनता पार्टी के नेता प्रेम शुक्ला के अनुसार भाजपा जातीय राजनीति में विश्वास नहीं करती है। वह समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर आगे बढ़ने की कोशिश करती है। सता में केंद्र में भी वह समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व देती है। पार्टी की इसी नीति का परिणाम है कि उसे समाज के सभी वर्गों का समर्थन हासिल होता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबका साथ, सबका विश्वास की नीति में यकीन रखते हैं और पार्टी की यह नीति हमेशा बनी रहेगी।