उत्तराखंड में अब किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में बच्चों का दूध गर्म करने से मना नहीं किया जा सकेगा। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और जिला पर्यटन अधिकारियों को साफ निर्देश भेज दिए हैं। यह आदेश हरिद्वार के समाजसेवी मनोज निषाद की शिकायत के बाद जारी किया गया है।
मनोज निषाद ने आयोग को बताया था कि 25 जून को हरिद्वार से ऋषिकेश की ओर जाते समय जब उन्होंने अपने 3 साल के बेटे के लिए दूध गर्म करने की गुजारिश की तो रेस्टोरेंट मालिकों ने साफ मना कर दिया। इसके बाद उन्होंने बाल अधिकार आयोग से इसकी शिकायत की।
आयोग ने मामले को गंभीर मानते हुए 19 जुलाई को प्रदेशभर के जिलाधिकारियों और जिला पर्यटन अधिकारियों को आदेश भेज दिए कि किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में बच्चों के दूध को गर्म करने से इनकार नहीं किया जाएगा। इस आदेश के बाद सबसे पहले रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ में नियम लागू हुआ। 28 जुलाई को रुद्रप्रयाग और 5 अगस्त को पिथौरागढ़ के जिलाधिकारी ने आयोग को आदेश लागू करने की रिपोर्ट भेज दी।
मनोज निषाद का कहना है कि उत्तराखंड में बड़ी संख्या में लोग अपने परिवार और छोटे बच्चों के साथ यात्रा करते हैं। कई बार माता पिता दूध लेकर भी चलते हैं लेकिन सिर्फ उसे गर्म करवाने की सुविधा नहीं मिलती। जबकि वे इसके लिए पैसे देने को भी तैयार रहते हैं। आयोग का यह फैसला उन तमाम परिवारों को राहत देगा जिन्हें अब इस तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
