हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में भगदड़ में आठ लोगों की मौत के बाद अब सरकार हरकत में आ गई है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने सोमवार को सचिवालय में अधिकारियों की एक अहम बैठक ली। बैठक में यह साफ कहा गया कि राज्य के सभी बड़े धार्मिक स्थलों में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए वहां की व्यवस्थाएं पूरी तरह मजबूत की जाएंगी ताकि आगे कोई हादसा न हो सके।
मुख्यमंत्री ने साफ कहा कि हरिद्वार के मनसा देवी और चंडी देवी मंदिर। टनकपुर का पूर्णागिरि धाम। नैनीताल के कैंची धाम। अल्मोड़ा के जागेश्वर धाम और पौड़ी का नीलकंठ महादेव मंदिर समेत सभी प्रमुख मंदिरों में भीड़ को ध्यान में रखकर जरूरी इंतजाम किए जाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि इन जगहों पर श्रद्धालु पंजीकरण। पैदल चलने के रास्तों और सीढ़ियों का चौड़ीकरण। अतिक्रमण हटाने और सभी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए ताकि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के दर्शन कर सकें।
मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि इन मंदिर परिसरों का सुनियोजित विकास हो। वहां की क्षमता बढ़ाई जाए और दुकानों को भी एक तय ढंग से व्यवस्थित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का पंजीकरण अब जरूरी होगा और हर दिन दर्शन की संख्या को सीमित किया जाएगा जिससे व्यवस्था बनी रहे और किसी को दिक्कत न हो।
मुख्यमंत्री ने आदेश दिया कि दोनों मंडलों के आयुक्तों की अगुवाई में एक समिति बनाई जाए। जिसमें संबंधित जिलों के डीएम। एसएसपी। विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष और निर्माण एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हों। ये समिति हर मंदिर स्थल की व्यवस्थाओं की निगरानी करेगी और तय करेगी कि वहां सुरक्षा और सुविधा से जुड़ी कोई कमी न रहे।
भगदड़ की बात करें तो ये घटना रविवार सुबह की है। जब मनसा देवी मंदिर के सीढ़ियों पर करंट फैलने की अफवाह से अफरा तफरी मच गई। लोग भागने लगे। भीड़ बेकाबू हो गई और कई लोग सीढ़ियों से गिर पड़े। इस हादसे में आठ लोगों की जान चली गई और तीस श्रद्धालु घायल हो गए। जिनका इलाज अभी एम्स ऋषिकेश और दूसरे अस्पतालों में चल रहा है। मरने वालों में एक बच्चा भी शामिल है जबकि घायलों में चार साल की एक बच्ची भी है जो गंभीर रूप से घायल हुई है।
