दिल्ली मेरठ हाइवे पर बीती रात कादराबाद के पास एक भयानक हादसा हो गया है। रात सवा बारह बजे एक एंबुलेंस ने दो कांवड़ियों को टक्कर मार दी है। हादसा इतना तेज था कि दोनों की मौके पर ही मौत हो गई है। अब तक दोनों की पहचान नहीं हो सकी है। टक्कर के बाद घायलों को मेरठ के सुभारती अस्पताल पहुंचाया गया था लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया है। पुलिस फिलहाल पूरे मामले की जांच कर रही है।
एक तरफ सरकार कांवड़ यात्रा को सुरक्षित बनाने के दावे कर रही है। फूल बरसाए जा रहे हैं। रास्ते सुगम किए जा रहे हैं। लेकिन असल सच्चाई इससे अलग है। कांवड़ यात्रा के दौरान घायलों को इलाज तक सही तरीके से नहीं मिल पा रहा है। शनिवार को सड़क हादसे में एक कांवड़िए की मौत हो गई है जबकि दो घायल हो गए। दोनों को जिला एमएमजी अस्पताल लाया गया था। योगेश नाम के एक घायल के पिता रामआसरे ने बताया कि पहले पर्ची बनवानी पड़ी फिर डॉक्टर को दिखाया गया। डॉक्टर ने एक्स रे कराने के लिए कहा। मां बाप खुद बेटे को स्ट्रेचर पर इधर उधर लेकर घूमते रहे। जब एक्स रे हुआ तो कई जगह फ्रैक्चर निकला। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे मेरठ हायर सेंटर रेफर कर दिया।
इस मामले में सीएमएस डॉक्टर राकेश कुमार सिंह का कहना है कि संजयनगर संयुक्त अस्पताल में पहले जांच हुई थी। वहां से दोनों घायलों को एक्स रे के लिए एमएमजी अस्पताल लाया गया था। श्रवण और योगेश दोनों को हालत गंभीर होने के कारण हायर सेंटर भेजा गया है।
ऐसा ही एक और मामला शुक्रवार को भी सामने आया है। हरिद्वार से लौट रही एक किशोरी की रास्ते में तबीयत बिगड़ गई थी। उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी और सीने में दर्द शुरू हो गया था। एमएमजी अस्पताल की इमरजेंसी में भर्ती तो कराया गया लेकिन उसकी हालत बिगड़ती देख डॉक्टरों ने प्राथमिक इलाज के बाद उसे भी हायर सेंटर रेफर कर दिया।
कांवड़ यात्रा को लेकर सरकारी इंतजामों की हकीकत हादसों और इलाज में लापरवाही से सामने आ रही है। बात सुरक्षा की हो या इलाज की। दोनों मोर्चों पर खामियां दिख रही हैं। रफ्तार का कहर और इलाज की जद्दोजहद दोनों ही कांवड़ियों की जान पर भारी पड़ रहे हैं।
