पंजाब के कपूरथला की सरबजीत कौर पाकिस्तान की धार्मिक यात्रा पर गई थीं। जत्था वाघा अटारी बॉर्डर पार कर चार नवंबर को पाकिस्तान पहुंचा था। गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व पर हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु वहां जाते हैं। इस बार भी हजारों लोग गुरुद्वारों में माथा टेकने पहुंचे थे। इसी दौरान सरबजीत कौर जत्थे से अलग हो गईं। लौटने की तारीख आई तो बाकी सभी भारत वापस आ गए लेकिन सरबजीत नजर नहीं आईं।
पाकिस्तान के इमिग्रेशन विभाग ने भारतीय अधिकारियों को बताया कि सरबजीत ने वापसी की प्रक्रिया पूरी ही नहीं की। इतनी बड़ी यात्रा के बीच किसी एक श्रद्धालु का गायब हो जाना शुरू में एक गंभीर मामला बन गया। जांच शुरू हुई तो धीरे धीरे तस्वीर बिल्कुल अलग निकलकर सामने आई।
पाकिस्तान से जो दस्तावेज आए हैं उनके मुताबिक सरबजीत कौर ने वहां इस्लाम अपना लिया है। उन्होंने अपना नया नाम नूर बताया है। यही नहीं। उनका निकाहनामा भी सामने आया है। उसमें लिखा है कि उन्होंने शेखूपुरा के रहने वाले नासिर हुसैन से शादी कर ली है। ये वही समय था जब भारतीय जत्थे के बाकी लोग भारत लौट रहे थे।
सिख जत्थे का नेतृत्व अकाल तख्त के कार्यवाहक जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गर्गज्ज ने किया था। जत्था ननकाना साहिब और करतारपुर सहित कई ऐतिहासिक गुरुद्वारों में दर्शन करने गया था। यात्रा पूरी होने के बाद समूह तेरह नवंबर को भारत लौटा। उस समय सरबजीत की गैर मौजूदगी ने सभी को परेशान कर दिया था।
जानकारी यह भी सामने आई है कि सरबजीत कौर तलाकशुदा हैं। उनके दो बेटे हैं। उनके पूर्व पति करनाल सिंह करीब तीन दशकों से इंग्लैंड में रह रहे हैं। भारतीय अधिकारी अब उनके गांव में जाकर परिवार से जानकारी जुटा रहे हैं। उनके पासपोर्ट में पति की जगह पिता का नाम दर्शाया गया है। इसी आधार पर भी जांच आगे बढ़ रही है।
इस पूरे मामले को लेकर अब भारतीय एजेंसियां और पाकिस्तान की पुलिस दोनों अपनी अपनी तरफ से जांच में लगी हैं ताकि यह पता चल सके कि सरबजीत ने जत्थे से अलग होने का फैसला कब लिया और वह किसके संपर्क में थीं।
