कैंची धाम से शुरू हुआ उत्तराखंड के मंदिरों में भीड़ नियंत्रण का नया सिस्टम, सरकार ने उठाया बड़ा कदम
नैनीताल से शुरू होकर अब पूरे उत्तराखंड के मंदिरों तक पहुंचने वाली एक नई व्यवस्था की शुरुआत हो चुकी है। धार्मिक स्थलों पर बढ़ती भीड़ और उससे पैदा होने वाले खतरे को देखते हुए अब सरकार मंदिर परिसरों की ‘धारण क्षमता’ यानी वहां एक साथ कितने श्रद्धालु मौजूद रह सकते हैं — इसका वैज्ञानिक आंकलन करा रही है।
इस काम की शुरुआत नैनीताल जिले के प्रसिद्ध कैंची धाम से हो चुकी है, जहां हर साल लाखों लोग बाबा नीम करौली महाराज के दर्शन के लिए जुटते हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर यह सर्वे पर्यटन विभाग की देखरेख में शुरू किया गया है।
पर्यटन विभाग के सचिव धीराज गर्ब्याल ने जानकारी दी है कि कैंची धाम में कितने श्रद्धालु एक दिन में आते हैं, कितनी गाड़ियां मंदिर तक पहुंचती हैं और मौजूदा संरचना एक बार में कितनी भीड़ को संभाल सकती है — इन सभी पहलुओं को सर्वे में शामिल किया गया है।
मंदिर क्षेत्र में निगरानी के लिए एनपीआर कैमरे और सीसीटीवी पहले ही लगाए जा चुके हैं। साथ ही, विभाग की टीमें लगातार मैदान में डटी हुई हैं और हर गतिविधि पर नजर रख रही हैं।
हाल ही में मसूरी के मनसा देवी मंदिर में भगदड़ की एक घटना के बाद सरकार ने तय किया कि अन्य प्रमुख मंदिरों में भी इस तरह की व्यवस्था लागू की जाएगी। इसमें हरिद्वार की चंडी देवी, टनकपुर का पूर्णागिरि मंदिर और रुड़की की पिरान कलियर दरगाह जैसे स्थान शामिल हैं।
सर्वे के नतीजे आने के बाद कैंची धाम में दर्शन के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था भी शुरू की जाएगी, ताकि किसी दिन अचानक भीड़ का दबाव न बढ़े और श्रद्धालुओं को बिना अफरा-तफरी के दर्शन मिल सकें।
सरकार की यह योजना धार्मिक पर्यटन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने की दिशा में एक बड़ा और जरूरी कदम माना जा रहा है।
