शरीर का तापमान सामान्य से थोड़ा कम होना हर बार खतरे की निशानी नहीं होता। कई बार ऐसा वजन घटने या त्वचा के रूखेपन की वजह से भी देखा जाता है। उम्र, लिंग और दिन का समय भी शरीर के तापमान को प्रभावित करते हैं। हालांकि जब तापमान लगातार बहुत कम बना रहता है तो यह किसी छिपी हुई समस्या का संकेत हो सकता है।
अगर शरीर का तापमान सामान्य से नीचे जा रहा है तो सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि वजह क्या है। कई बार यह हाइपोथर्मिया के कारण होता है। लंबे समय तक ठंडे माहौल में रहने से शरीर की गर्मी धीरे-धीरे खत्म होने लगती है और शरीर का तापमान गिर जाता है। नवजात बच्चों और बुजुर्गों में इसका खतरा ज्यादा होता है क्योंकि उनका शरीर तापमान को नियंत्रित नहीं कर पाता। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को तुरंत गर्म वातावरण में ले जाना चाहिए। अगर कपड़े गीले हैं तो तुरंत बदल दें। शरीर को ढकने के लिए कंबल दें और गरम तरल चीजें पीने को दें। सीधे हीट देने जैसे गरम पानी से नहलाने से बचें क्योंकि इससे झटका लग सकता है।
कई बार नर्वस सिस्टम से जुड़ी गड़बड़ियां भी शरीर का तापमान गिरा देती हैं। दिमाग का हिस्सा हाइपोथेलेमस शरीर को तापमान संतुलन का संकेत भेजता है। अगर यह प्रक्रिया रुक जाए तो शरीर तापमान को ठीक से नियंत्रित नहीं कर पाता। स्ट्रोक, रीढ़ की हड्डी में चोट या पार्किंसन्स जैसी बीमारियों में यह समस्या देखने को मिलती है।
कुछ दवाएं भी शरीर के तापमान को प्रभावित कर सकती हैं। डिप्रेशन, बायपोलर डिसऑर्डर या सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों में दी जाने वाली दवाओं के साइड इफेक्ट के तौर पर भी बॉडी टेम्परेचर थोड़ा कम हो सकता है।
अगर आपको अपने तापमान के कम होने का संदेह है तो सही समय पर मापना जरूरी है। एक्सरसाइज करने या गर्म पानी से नहाने के एक घंटे के भीतर तापमान ना लें। स्मोकिंग या कुछ गर्म या ठंडा पीने के तीस मिनट के भीतर भी मापने से बचें ताकि नतीजा सही मिले।
अगर शरीर में कंपकंपी हो रही हो, व्यक्ति की बात अस्पष्ट हो जाए, सांस और नाड़ी धीमी चलने लगे, ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत हो या बेहोशी की स्थिति आने लगे तो यह संकेत है कि शरीर का तापमान खतरनाक स्तर पर जा चुका है। छोटे बच्चों में अगर त्वचा लाल और ठंडी महसूस हो रही हो तो देर किए बिना डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।
