उत्तराखंड लोक वाहिनी ने भी दी गिरदा को श्रद्धांजलि

उत्तरा न्यूज डेस्क
3 Min Read

new-modern

Uttarakhand Lok Vahini Also paid tribute to Girda गिरदा को श्रद्धांजलि

अल्मोड़ा, 22 अगस्त 2020 उत्तराखंड लोक वाहिनी ने भी 10 वीं पुण्य तिथि पर जनगीतों के पुरोधा गिरीश तिवारी गिरदा को श्रद्धा सुमन अर्पित किए.(गिरदा को श्रद्धांजलि)

IMG 20200822 WA0023

सामाजिक दूरी का अनुपालन करते हुए एक संगोष्ठी आयोजित करते हुए कहा कि जनकवि गिरीश तिवारी ” गिरदा “जन आंदोलनों की आत्मा रहे ।जन आंदोलनों में गिरीश तिवारी” गिरदा” जान फूंक देते थे वे आम कलाकारों से अलग रहे ,उनके गीत जन आंदोलनों में ही प्रफुल्लित होते रहे उन्होंने अपने गीत स्टूडियो में नहीं सड़कों में गाये।(गिरदा को श्रद्धांजलि)

IMG 20200822 WA0022

कहा कि जन गीत आम जनमानस की आवाज बने, वक्ताओं ने कहा कि वाहिनी के साथ स्वर्गी गिरदा का चोली दामन का साथ था ।वह वाहिनी के हर आंदोलनों में सक्रिय रहे चाहे वह 1977 का वन बचाओ आंदोलन हो ,1984 का नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन या फिर उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन। कार्यक्रम की अध्यक्षता रेवती बिष्ट और संचालन दया कृष्ण कांडपाल ने किया ।(गिरदा को श्रद्धांजलि)

मुख्य वक्ता डॉक्टर कपिलेश भोज ने गिर्दा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गिरीश तिवारी “गिरदा” असाधारण व्यक्तित्व के धनी रहे। सरकारी सेवा रहते हुए उन्होंने जन आंदोलनों में भागीदारी कि। आज के समय में जन आंदोलनों की धार कुंद हो गई है। संवेदनशील आंदोलनकारी नहीं रहे ,उन्होंने कहा कि भीषण गुलामी में भी लोगों ने आवाज उठाई और संघर्षों के बलबूते सफलता पाई। वरिष्ठ अधिवक्ता जगत रौतेला ने कहा कि गिर्दा किसी मंच के मोहताज नहीं थे जहां खड़े हो जाते वहीं पर मंच बन जाता था। गिरदा को याद करते हुए कहा कि वे 1972 से जन आंदोलनों में सक्रिय थे उनके गीतों का प्रभाव था कि वाहिनी कई बार उत्तराखंड को बंद कराने में सफल हुई।अजयमित्र ने कहां की गिरदा उत्तराखंड व पूरे समाज के गोरकी रहे उनकी अभिव्यक्ति आम आदमी की हक- हकूक की आवाज रही, कार्यक्रम का शुभारंभ गिर्दा के जन गीतों से हुआ ।लोगों ने गिरदा के कई जन गीत गाए जिसमें उत्तराखंड मेरी मातृभूमि ,हम लड़ते राया दाजू हम लड़ते रूलो, उत्तराखंड मेरी मातृभूमि आदि गीत गाए गए। सभा में वाहिनी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जंग बहादुर थापा, अजय मेहता ,कुंदन सिंह, कुणाल तिवारी ,शमशेर गुरंग आदि ने संबोधित किया । बैठक में जय मित्र बिष्ट, गोकुल शाही,सूरज टम्टा ,शंभू राणा ,आदित्य शाह, देवेंद्र वर्मा ,नवीन पाठक आदि भी संवाद के माध्यम से उपस्थित रहे। अंत में सुमगढ़ में 18 अगस्त 2010 में प्राकृतिक आपदा में मारे गए 18 बच्चों को श्रद्धांजलि दी गई ।(गिरदा को श्रद्धांजलि)