द्वितीय सत्र हिमालय की कृषि पर आधारित था। मुख्य चर्चा बदलती जलवायु की परिवर्तनषीलता के तहत बढ़ती आबादी के भोजन उपलब्ध कराने की चुनौतियों से निबटने पर की गई। इस सब में चर्चा का प्रमुख विषय पहाड़ो में जलवायु आघारित स्मार्ट कृषि के लिए तकनीकी हस्तक्षेप और लचीली कृषि के लिए नीति विकल्प अपनाना था। सत्र की अध्यक्षता देहरादून से आए हुए डा. पीआर ओजस्वी, निदेशक प्रभारी, आईसीएआर-सेन्ट्रल साॅयल वाॅटर कन्जर्वेषन रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट, डा. समीर चतुर्वेदी, पन्तनगर विष्वविद्यालय, डा. डीआर सेना, आईसीएआर-वीपीकेस, डा. वीएस मीना, आईसीएआर-वीपीकेस ने की। इस दौरान एक पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।
तृतीय सत्र में हिमालयी इकोतंत्र की पारिस्थितिकी सेवाओं पर विस्तृत चर्चा की गई। इस सत्र के प्रमुख वक्ता प्रो. एस.पी. सिंह, इन्सा के वरिष्ठ वैज्ञानिक थे। इस सत्र में स्मिता चैधरी, आईसीमोड, नेपाल, डॉ. जी.सी.एस. नेगी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, पर्यावरण संस्थान, डा. दिप्ति नायक, आई.आई,टी. रूड़की एवं दीपक झाझरिया, सीएयू, सिक्किम आदि ने हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं के प्रवाह और प्रबंधन को समझने के लिए पावर प्वाइन्ट के माध्यम से अपने षोध पत्र प्रस्तुत किए।
इस सम्मेलन के द्वितीय दिवस मे तीन साइड इवेंट भी आयोजित किए गए। पहले इवेंट में आईयूसीएन द्वारा भारतीय हिमालयी क्षेत्र में काम करते हुए सीखे गए सर्वोत्तम अभ्यासों को बढ़ावा देना, नीतिगत साधनों को मजबूत करना पर केन्द्रित रही। सत्र की अध्यक्षता डॉ. ए माओ, निदेशक, बीएसआई एवं चर्चा में योगेश्वर, भूपाल बिष्ट, चिराग द्वारा की गई। कार्यक्रम के पैनलिस्ट डॉ. आर.एस. रावल, निदेशक, पर्यावरण संस्थान, एस.पी. सिंह, डॉ. वरुण जोशी, आईयू, दिल्ली द्वारा किया गया।
एक अन्य सत्र में वन संसाधन और पादप जैव विविधता पर निमशी-टास्क फोर्स 3, डीएसटी, नई दिल्ली और नैटकाॅम- पर्यावरण संस्थान द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. आरएस रावल, निदेशक, पर्यावरण संस्थान, डॉ. जेसी कुनियाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक, पर्यावरण संस्थान, प्रो. ए. भट्टाचार्य, बीएसआईपी, लखनऊ द्वारा समन्वित है। पैनल चर्चा का नेतृत्व प्रो. एस.पी. सिंह, इन्सा के वरिष्ठ वैज्ञानिक, उज्जवल घोष, आई.एफ.एस. (आईसीमोड, सिक्किम) शामिल थे।
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