अंकिता भंडारी मामले में विभिन्न संगठनों ने किया आंदोलन का ऐलान, 4 जनवरी को सीएम आवास कूच

देहरादून: अंकिता भंडारी हत्या मामले में सामने आए नए घटनाक्रमों के बाद जनपक्षधर सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने…

Ankita bhandari Murder Case: Statewide Protest Announced, CM Residence March on January 4

देहरादून: अंकिता भंडारी हत्या मामले में सामने आए नए घटनाक्रमों के बाद जनपक्षधर सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ने की घोषणा कर दी है। आंदोलन के पहले चरण में 4 जनवरी को परेड ग्राउंड से मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच कर घेराव किया जाएगा। इसके साथ ही राज्यभर के सभी जिला और तहसील मुख्यालयों पर भी विरोध प्रदर्शन किए जाने की अपील की गई है।


यह निर्णय उत्तराखंड महिला मंच की अपील पर कल शहीद स्मारक में आयोजित बैठक में लिया गया।बैठक में तय किया गया कि मुख्यमंत्री आवास कूच के बाद आंदोलन की आगे की रणनीति बनाई जाएगी। इसमें देहरादून सहित पूरे प्रदेश में चक्काजाम, विभिन्न जन मुद्दों को लेकर जन-जागरूकता यात्राएं, और निरंतर विरोध कार्यक्रम शामिल होंगे। 4 जनवरी के कूच को सफल बनाने के लिए अलग-अलग समन्वय और संचालन समितियों का गठन भी किया गया है।


बैठक में यह मांग प्रमुखता से उठाई गई कि उर्मिला सनावर द्वारा लगाए गए आरोपों तथा सामने आए ऑडियो और वीडियो की जांच किसी मौजूदा सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के जज की अध्यक्षता वाली समिति की निगरानी में सीबीआई से कराई जाए। साथ ही इस समिति में कम से कम चार सदस्य सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों से शामिल किए जाएं। इसके अलावा भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन अजय कुमार और राज्य प्रभारी दुष्यंत गौतम को जांच पूरी होने तक पदों से हटाने तथा उर्मिला सनावर को सुरक्षा प्रदान करने की भी मांग की गई।


बैठक में मौजूद प्रतिनिधियों ने कहा कि उत्तराखंड की जनता के मन में यह पीड़ा लगातार बनी हुई है कि अंकिता भंडारी को पूरा न्याय नहीं मिला और हत्या के पीछे रहे वीआईपी को बचाया गया। प्रतिनिधियों का कहना था कि निचली अदालत द्वारा तीन आरोपियों को उम्रकैद की सजा दिए जाने के बावजूद यह आशंका बनी हुई है कि सरकार की गैर-गंभीरता के चलते मामला ऊपरी अदालतों में कमजोर पड़ सकता है और आरोपी राहत पा सकते हैं।


महिला मंच के आह्वान पर आयोजित इस बैठक का संचालन करते हुए कमला पंत ने कहा कि सरकार और सत्तासीन दल की विभाजनकारी राजनीति के चलते महिलाओं के खिलाफ अपराध, व्यभिचार, नशाखोरी, भ्रष्टाचार और प्राकृतिक संसाधनों की लूट बढ़ी है। उन्होंने कहा कि महिला असुरक्षा, जो कभी उत्तराखंड के लिए बड़ा मुद्दा नहीं थी, आज प्रदेश का सबसे गंभीर सवाल बन चुकी है और हालात एक नए उत्तराखंड आंदोलन की ओर इशारा कर रहे हैं।


बैठक में पद्मा गुप्ता, उषा भट्ट, विमला, गरिमा दसौनी, ज्योति रौतेला, समर भंडारी, प्रमिला रावत, शंभु प्रसाद मंमगाईं, इंद्रेश मैखुरी, सुलोचना इष्टवाल, ऊषा डोभाल, डॉ. रवि चोपड़ा, रजिया बेग, आकांक्षा नेगी, मोहित डिमरी, एसएस पांगती, त्रिलोचन भट्ट, मनीष केडियाल, जगमोहन मेहंदीरत्ता, नन्द नन्दन पांडेय, प्रो. राघवेन्द्र, विजय भट्ट, ऊमा भट्ट, कविता कृष्णपल्लवी, सतीश धौलाखंडी, लुशुन टोडरिया, लताफत हुसैन, यशवीर आर्या, हरवीर सिंह कुशवाहा, धीरेन्द्र प्रताप सहित अनेक सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।


इस बैठक में कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई माले, उत्तराखंड क्रांति दल, राष्ट्रीय रीजिनल पार्टी के प्रतिनिधियों के साथ उत्तराखंड इंसानियत मंच, मूल निवास भू-कानून संघर्ष समिति, सर्वोदय मंडल, चेतना आंदोलन, दून सिटीजन फोरम, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, जन संवाद समिति, पूर्व सैनिक संगठन, साथिनी महिला संगठन, स्त्री मुक्ति लीग, भारत की नौजवान सभा, इप्टा और आइसा से जुड़े प्रतिनिधियों ने भाग लिया।


इसी क्रम में सायंकाल एसएफआई ने गांधी पार्क गेट पर प्रदर्शन किया, जहां अंकिता को न्याय दिलाने और वीआईपी के खुलासे की मांग के साथ 4 जनवरी को होने वाले संयुक्त आंदोलन में अधिक से अधिक भागीदारी का आह्वान किया गया।

Leave a Reply