स्कूलों में गीता श्लोक पढ़ने को लेकर नाराज हुए देवबंदी उलेमा कारी इसहाक, बोले- ‘ये धार्मिक स्वंतत्रता पर हमला’

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में भागवत गीता के श्लोक का पाठ अनिवार्य करने पर देवबंदी उलेमा कारी इसहाक गोरा की तीखी प्रतिक्रिया दी हैं। उन्होंने…

n6941622811766472507861319a02891731402f5c5a1fa3aa0317cb7577cbc3beb6f06faef6ab734668b50a

उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में भागवत गीता के श्लोक का पाठ अनिवार्य करने पर देवबंदी उलेमा कारी इसहाक गोरा की तीखी प्रतिक्रिया दी हैं। उन्होंने स्वदेशी को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला बताया और कहा कि किसी धर्म की किताब पढ़ना अच्छा है लेकिन जबरदस्ती किसी के साथ नहीं की जा सकती।


देवबंदी उलेमा कारी इसहाक गोरा ने स्कूलों में श्रीमद् भागवत गीता के श्लोकों को अनिवार्य करने की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि कई राज्यों में धार्मिक चीजे से थोपने की कोशिश की जा रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है उन्होंने कहा कि भारत में अनेक धर्म है।

यहां हर समुदाय अपनी आस्था के अनुसार जीवन जीता है विद्यालय में गीता के श्लोक थोपना लोकतंत्र के खिलाफ है।


उलेमा कारी इसहाक गोरा ने स्पष्ट किया कि किसी धर्म की किताब पढ़ना अच्छा लेकिन जबरदस्ती नहीं की जा सकती चाहे कुरान हो या गीता। उन्होंने बांग्लादेश में हुई माॅब लीचिंग की घटनाओं की भी निंदा की और काफी चाहे हिंदुस्तान हो या बांग्लादेश ऐसी हिंसा अमन पसंद लोगों को शर्मसार करती है। हम हमेशा इसका विरोध करते रहे हैं और करते रहेंगे।


दरअसल उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी स्कूलों श्रीमद्भागवत गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य कर दिया है। सरकार का कहना है कि इससे छात्र जीवन में भारतीय संस्कृति, नैतिक मूल्यों और जीवन दर्शन से जुड़ेंगे। ये गीता पाठ ने केवल दैनिक शैक्षणिक गतिविधियों का हिस्सा होगा बल्कि राज्य की पाठ्यक्रम में भी इसे शामिल किया जाएगा।


सीएम धामी ने ख़ुद अपने सोशल मीडिया हैंडल पर इस फैसले की जानकारी दी हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकार के इस फैसले को लेकर अब प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगीं हैं।

Leave a Reply