कोलेस्ट्रॉल रिपोर्ट नॉर्मल, फिर भी भारतीयों में बढ़ रहा हार्ट अटैक! ये 5 वजहें बन रहीं बड़ी चुनौती

भारत में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी कोलेस्ट्रॉल रिपोर्ट…

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भारत में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि कई लोग ऐसे भी हैं जिनकी कोलेस्ट्रॉल रिपोर्ट बिल्कुल सामान्य आती है, फिर भी उन्हें दिल का दौरा पड़ रहा है। लोगों को यह बात समझ नहीं आती कि जब टेस्ट नॉर्मल हैं तो हार्ट अटैक कैसे हो सकता है। लेकिन इसके पीछे कई खास कारण मौजूद हैं, जिन्हें जानना जरूरी है।


भारतीयों में खून से जुड़ा एक अलग तरह का पैटर्न मिलता है। कई बार कुल कोलेस्ट्रॉल और खराब कोलेस्ट्रॉल सही होने के बावजूद अच्छे कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम और ट्राइग्लिसराइड्स ज्यादा पाए जाते हैं। यह स्थिति दिल की नलियों को कमजोर बनाती है और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ाती है।


भारतीयों में इंसुलिन रेजिस्टेंस भी बहुत आम है। पेट बढ़ना, वजन ज्यादा होना, प्रीडायबिटीज और डायबिटीज जैसी समस्याएं शरीर में सूजन पैदा करती हैं और खून की नलियों को नुकसान पहुंचाती हैं। इससे दिल की बीमारी का खतरा और भी बढ़ जाता है।


इसके अलावा लिपोप्रोटीन (ए) भी एक बड़ा कारण है। यह एक तरह का अनुवांशिक फैक्टर है जो भारतीयों में ज्यादा पाया जाता है। इसकी जांच सामान्य कोलेस्ट्रॉल टेस्ट में नहीं होती, इसलिए कई लोग जोखिम में होने के बावजूद अनजान रहते हैं।


डॉक्टर बताते हैं कि भारतीयों में दिल की बीमारी जल्दी शुरू होती है। कई बार 20 से 30 की उम्र में ही धमनियों में प्लाक बनना शुरू हो जाता है। ऐसे में रिपोर्ट नॉर्मल आने पर भी खतरा बना रहता है।


दिल की सेहत सिर्फ कोलेस्ट्रॉल पर निर्भर नहीं होती। धूम्रपान, शराब, तनाव, हाई बीपी, खराब नींद और व्यायाम न करना भी हार्ट अटैक को बढ़ावा देते हैं। ये सब कारण कोलेस्ट्रॉल से अलग हैं, लेकिन हार्ट को नुकसान पहुंचाते हैं।


इसलिए सिर्फ रिपोर्ट नॉर्मल होने से यह नहीं मान लेना चाहिए कि दिल बिल्कुल सुरक्षित है। नियमित जांच करानी चाहिए, जीवनशैली सरल रखनी चाहिए, तनाव कम करना चाहिए और शरीर को सक्रिय रखना चाहिए। इन बातों का ध्यान रखकर हार्ट अटैक का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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