उत्तराखंड में मानव वन्य जीव संघर्ष कर रहा है जिसकी वजह से अब यहां की सरकार ने कदम उठा रही है। लोगों की जान जोखिम में है। पर्वतीय जनपदों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी वन्य जीवन ने आम जीवन को अस्त-व्यस्त कर रखा है।
इन मामलों को देखते हुए प्रदेश में लोगों की सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग की व्यवस्था की जा रही है और लोगों को अलर्ट करने के लिए सेंसर बोर्ड अलर्ट सिस्टम लगाकर सुरक्षा को विकसित करने का निर्णय लिया गया। सोलर फेंसिंग योजना को जल्द ही लाने की योजना तैयार की जा रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड में बढ़ते मानव वन्य जीव संघर्ष पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। प्रदेश भर में हाथी, नीलगाय, गुलदार, भालू और बंदर लोगों पर हमला कर उन्हें घायल कर रहे हैं तो कहीं-कहीं जान का जोखिम भी बन रहा है। इसके साथ ही खेती को भी नुकसान पहुंच रहा है।
ऐसे में उत्तराखंड के जिन क्षेत्रों में मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले सामने आ रहे हैं। उन क्षेत्रों में चरणबद्ध तरीके से लोगों की सुरक्षा के लिए सोलर फेंसिंग की व्यवस्था की जाएगी। सोलर फेंसिंग लगाने का उद्देश्य खेतों को वन्य जीवों से बचाना है और किसानों को राहत और सुरक्षा देना है।
इसके साथ ही लोगों को अलर्ट करने के लिए सेंसर बोर्ड अलर्ट सिस्टम लगाकर सुरक्षा तंत्र को भी विकसित किया जाएगा। जिससे कि मानव-वन्य जीव संघर्ष को काम किया जा सके।
इसके अलावा लंगूर, बंदर, सूअर, भालू सहित कई वन्य जीवों की जनसंख्या नियंत्रण के लिए हर जिले में आधुनिक नसबंदी केंद्र की स्थापना भी की जाएगी। इसके लिए वन विभाग की ओर से सभी व्यवस्थाएं की जानी है। प्रदेश के सभी जिलों में जहां मानव वन्य जीव संघर्ष के मामले लगातार घट रहे हैं वहीं वन्य जीवों के रिस्क और रिहैबिलिटेशन के लिए वन विभाग के नियंत्रण में केंद्र खोले जाने हैं।
रामनगर में टाइगर और गुलदार के रिस्क के लिए केंद्र बनाए गए हैं। जहां लगभग 25 टाइगर और गुलदार रेस्क्यू अभी तक किए जा चुके हैं। इसी तरह भालू और अन्य जीवों के लिए भी रेस्क्यू सेंटर बनाए जा रहे हैं पर्वतीय क्षेत्रों में न्यूनतम 10 नाली और मैदानी क्षेत्र में एक एकड़ भूमि आरक्षित की जा रही है।
मानव वन्य जीव संघर्ष के चलते आमजन जीवन काफी अस्त-व्यस्त है और लोगों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिसकी वजह से इस मामले को प्राथमिकता देते हुए दो हफ्ते के भीतर इस योजना को लागू करने की तैयारी है। जिसके लिए वन विभाग को पिंजरा, ट्रेंकुलाइज समेत जरूरी सुविधाओं के लिए अतिरिक्त 5 करोड़ रुपए दिए जायेंगे।
मानव-वन्य जीव संघर्ष प्रभावी तरीके से रोकने के लिए वन्य जीव अधिनियम के सुसंगत प्रावधानों के तहत हिंसक जीवों को निषेध करने और उनके अधिकारों का विकेंद्रीकरण करते हुए वन विभाग के रेंजर स्तर के अधिकारियों को सशक्त बनाया जाएगा।
